आतंकी संगठनों और ड्रग तस्करों का गठजोड़ तोड़ना जरूरी

Edited By ,Updated: 21 Apr, 2016 01:50 PM

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संयुक्त राष्ट्र की महासभा के विशष सत्र में भारत के विदेश मंत्री अरुण जेटली ने चिंता जताई है कि ड्रग तस्करों और आतंकी संगठनों को

संयुक्त राष्ट्र की महासभा के विशष सत्र में भारत के विदेश मंत्री अरुण जेटली ने चिंता जताई है कि ड्रग तस्करों और आतंकी संगठनों को बेरोकटोक वित्तीय सहायता मिल रही है। इससे वे अपने नेटवर्क को विस्तार देने और जरूरतों को पूरा करने में कामयाब हो रहे हैं। उन्होंने इसे रोकने और आतंकवाद के विरुद्ध सामूहिक लड़ाई को और धार देने पर बल दिया है। यह सही कि ड्रग तस्करों और आतंकी संगठनों के गठजोड़ को तोड़ना होगा। दोनों का इरादा विनाश है। ड्रग तस्कर खासतौर पर युवा पीढ़ी को तबाह कर रहे हैं और आतंकी संगठन अमन चैन और शांति के लिए खतरा हैं। यदि दोनों को वित्तीय सहायता बंद हो जाएगी तो इनकी कमर टूट जाएगी। फिर इन्हें समाप्त करने में आसानी होगी। इसके लिए जरूरी है कि सभी देशों को एकजुट होकर इनके विरुद्ध अपनी लड़ाई छेड़नी होगी। जो आतंकी संगठन और ड्रग तस्करों की सहायता कर रहे है सबसे पहले उनके खिलाफ जोरदार मु​हिम शुरू करने की जरुरत है। आतंकवाद से प्रभावित देशों में भारत भी शाामिल है और ड्रग तस्करों से यह मुक्त नहीं हैं।

अब तक भारत पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुआ था। इसकी साजिश रचने वाले कौन थे। इसे किसने अंजाम दिया। उनकी किसने मदद की, यह सब सामने आ चुका है। इस हमले की विस्तृत जांच भी हुई। हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ होने, हमले की योजना पाकिस्तान में बनने और इसमें उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के मददगार होने के तथ्य सामने आ चुके हैं। डेविड हेडली की गवाही से इन तथ्यों की पुष्टि हो गई। इससे भारत का पक्ष और मजबूत हुआ है। पाकिस्तान की परेशानी बढ़ी,लेकिन आतंकवाद का पोषण रोकने के लिए कितने देशों ने उस पर दबाव बढ़ाया। अमेरिका ने पाकिस्तान को बड़ा पैकेज दे दिया और भारत की अजहर मसूद पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर चीन ने अपने वीटो के अधिकार का इस्तेमाल करके उसे रद्द करवा दिया। वह अब भी अपने स्टैंड पर कायम है। जब तक भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जाता रहेगा आतंक पर लगाम लगाना संभव नहीं होगा। 

पठानकोट मामले में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का हाथ होने के भारत के सबूतों को पाकिस्तान ने खारिज कर दिया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कितने देशों ने भारत का साथ दिया। वित्त मंत्री अरुण जेटली सही कहते हैं कि जब तक सभी देश एकजुट नहीं होंगे तब तक आतंकवाद के फैलाव को रोका नहीं जा सकेगा। पेरिस के बाद बेल्जियम,अमरीका को 9—11 की पुनरावत्ति को आईएसआईएस की भारत में हमला करने की धमकियों का कोई इलाज नहीं किया जा सकेगा। संयुक्त राष्ट्र को चाहिए कि वह अपने बैनर तले सभी देशों को आतंक के खिलाफ संघर्ष छेड़ने का आह्वान करे।

गौरतलब है कि आतंकवादियों और ड्रग माफिया में वास्तव में मजबूत गठजोड़ है। जेटली जान लें कि ड्रग तस्करी में भारत भी पीछे नहीं है। एक अनुमान के अनुयार भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी का कारोबार करीब 180 अरब रुपए सालाना होता है। वर्ष 2008 में मुंबई बम धमाकों के आरोपी डेविड हेडली के साथ राहुल भट्ट की दोस्ती भी ड्रग तस्करी से ही हुई थी। दिसंबर 2012 में गोआ में पूर्व गृहमंत्री रवि नाइक के बेटे और पुलिस के गठजोड़ से वहां ड्रग का कारोबार उजागर हुआ था। यही नहीं, भारत अवैध अफीम उत्पादन करने वाले देशों के इतना करीब है कि कारोबारियों के लिए यह आकर्षण का मुख्य केंद्र बन चुका है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान के पर्वतीय क्षेत्रों से ही एशिया और यूरोप में नशे का साम्राज्य चलता है। 

आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अवैध अफीम का उत्पादन होता है, जबकि ईरान से कारोबार का फैलाव। म्यांमार, थाईलैंड और लाओस के जिस इलाके से नशे के विभिन्न उत्पाद बनते हैं औैर वितरण होता है। मुंबई नशे के कारोबारियों के लिए प्रमुख वितरण केंद्र बन चुका है। 1950 के दशक की शुरुआत में चीन से अफीम के उत्पादन का काम खिसक कर म्यांमार, थाईलैंड और लाओस चला गया। 1990 तक म्यांमार ही दुनिया में अफीम उत्पादन का सिरमौर बना रहा। फिर अफगानिस्तान ने म्यांमार को मात देते हुए आधिपत्य कायम कर लिया है। एक के बाद एक ऐसी जानकारियों का अंबार लग जाएगा,इनसे जुड़े तत्वों की रोकथाम में जितना विलंब होगा वे उतना ही मजबूत और अनियंत्रित होते जाएंगे।

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