Edited By Seema Sharma,Updated: 11 Dec, 2020 09:55 AM
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का धरना प्रदर्शन 16वें दिन भी जारी है। पुलिस ने सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने किसानों के खिलाफ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने और महामारी एक्ट और...
नेशनल डेस्क: कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का धरना प्रदर्शन 16वें दिन भी जारी है। पुलिस ने सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने किसानों के खिलाफ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने और महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुकद्दमा दर्ज किया है। बता दें कि किसान 29 नवंबर को लामपुर बॉर्डर से जबरन दिल्ली की सीमा में घुस आए थे और सिंघु बॉर्डर की रेड लाइट पर बैठ जमा हो गए। किसान रोड को ब्लॉक करके बैठे हैं। किसानों के खिलाफ एफआईआर 7 दिसंबर को अलीपुर थाने में दर्ज की गई है।
वापिस नहीं होगा कृषि कानून
सरकार ने नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की संभावना से गुरुवार को एक तरह से इनकार करते हुए किसान समूहों से इन कानूनों को लेकर उनकी चिंताओं के समाधान के लिए सरकार के प्रस्ताओं पर विचार करने की अपील की। सरकार ने कहा कि जब भी यूनियन चाहें, वह अपने प्रस्ताव पर खुले मन से चर्चा करने के लिए तैयार है। सरकार ने कहा कि कृषि कानून संसद में पास होने के बाद ही कानून बना है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार कई बार कह चुकी है कि तीनों कृषि कानून किसानों के हित में हैं। सरकार ने कई बार वार्ता के जरिए भी किसानों के सामने अपनी बात रखी।
नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि किसान यूनियन के नेताओं को प्रस्तावों पर विचार करना चाहिए और वह उनके साथ आगे की चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन उन्होंने किसानों से अगले दौर की वार्ता के लिए तारीख प्रस्तावित करने जिम्मा किसान समूहों पर छोड़ दिया। तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के साथ बातचीत के लिए हमेशा तैयार रही है। मंत्री ने कहा कि हम ठंड के मौसम और मौजूदा कोविड-19 महामारी के दौरान विरोध कर रहे किसानों के बारे में चिंतित हैं। किसान यूनियनों को सरकार के प्रस्ताव पर जल्द से जल्द विचार करना चाहिए और फिर जरूरत पड़ने पर हम अगली बैठक में इस पर फैसला कर सकते हैं।
किसानों की आंदोलन तेज करने की धमकी
सरकार की अपील के बावजूद किसानों का विरोध जारी रहा और उन्हों ने धमकी दी कि वे राजमार्गों के अलावा रेलवे पटरियों को भी अवरुद्ध करेंगे। केंद्र सरकार और मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के हजारों किसानों के प्रतिनिधियों के बीच कम से कम पांच दौर की औपचारिक वार्ता हुई है। ये किसान लगभग दो हफ्ते से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। केन्द्र सरकार के कानून में कुछ संशोधन करने, एमएसपी और मंडी व्यवस्था जैसे मुद्दों पर लिखित आश्वासन अथवा स्पष्टीकरण देने के प्रस्ताव को ठुकराते हुए किसान यूनियनें इन नए कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़ी हैं।
मंत्रियों की संवाददाता सम्मेलन के बाद, किसान नेताओं ने धमकी दी कि यदि सरकार अपने तीन कानूनों को रद्द नहीं करती तो रेलवे पटरियों को भी अवरुद्ध किया जाएगा। सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के बारे में किसानों का दावा है कि इन कानूनों का उद्देश्य कृषि उत्पाद की खरीद के लिए मंडी प्रणाली तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) व्यवस्था को कमजोर कर कॉर्पोरेट घरानों को लाभान्वित करना है। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार MSP प्रणाली पर एक नए विधेयक लाने के बारे में विचार करेगी, तोमर ने कहा कि नए कृषि कानून MSP व्यवस्था को प्रभावित नहीं करते हैं और यह जारी रहेगा