Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jan, 2018 11:07 PM
UIDAI ने खबर प्रकाशित करने वाले अंग्रेजी अखबार और उसकी रिपोर्टर के खिलाफ दिल्ली में एफआईआर दर्ज कराई है। अखबार की खबर में दावा किया था कि कैसे लोगों के आधार कार्ड की जानकारी पैसों के बदले बेची जा रही है
नई दिल्लीः आधार के डाटा में सेंधमारी का दावा करने वाली खबरों को यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने आधारहीन करार दिया है। साथ ही UIDAI ने खबर प्रकाशित करने वाले अंग्रेजी अखबार और उसकी रिपोर्टर के खिलाफ दिल्ली में एफआईआर दर्ज कराई है। अखबार की खबर में दावा किया था कि कैसे लोगों के आधार कार्ड की जानकारी पैसों के बदले बेची जा रही है।
जालसाजी और धोखाधड़ी की धाराओं में FIR
इस एफआईआर में रिपोर्टर और उन्होंने जिन लोगों से संपर्क किया था उनका नाम भी शामिल किया गया है। दिल्ली के जॉइंट पुलिस कमिश्नर (क्राइम) ने पुष्टि की है कि इस संदर्भ में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इस एफआईआर में आईपीसी की धारा 419 (वेश बदलकर धोखा देने), धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 468 (जालसाजी) और धारा 471 (फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल) और आईटी एक्ट की धारा 66 और आधार एक्ट की धारा 36/37 दर्ज की गई है।
जवाब-तलब के लिए अखबार को भेजा लेटर
उक्त अंग्रेजी अखबार में खबर के प्रकाशित होने के बाद UIDAI ने कहा था कि बायोमैट्रिक डाटा हासिल करने की खबर झूठी है। इस संबंध में UIDAI के चंडीगढ़ स्थित दफ्तर ने 'अंग्रेजी अखबार' को एक लेटर भी भेजा है। इस खत के जरिए अखबार से सवाल किया गया है कि क्या उसके रिपोर्टर ने किसी के फिंगर प्रिंट या आंखों की पुतलियों का रिकॉर्ड देखा था या हासिल किया था? अखबार के पत्रकार ने कितने आधार नंबरों की जानकारी ली थी और ये आधार नंबर किन-किन के थे?
8 जनवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा
UIDAI ने कहा है कि अगर 8 जनवरी तक इन सवालों का जवाब नहीं दिया गया तो यह मान लिया जाएगा कि किसी के भी फिंगर प्रिंट या आंखों की पुतलियों का रिकॉर्ड हासिल नहीं किया गया था। बता दें, अंग्रेजी अखबार ने अपनी खबर में दावा किया था कि उसने एक व्हाट्सएप ग्रुप से मात्र 500 रुपए में आधार का डाटा हासिल करने वाली सर्विस खरीदी और उनको करीब 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया। अखबार ने अपनी खबर में दावा किया कि 300 रुपए ज्यादा देने पर उन्हें उस आधार कार्ड की जानकारी को प्रिंट करवाने का भी एक्सेस मिल गया था। खबर में कहा गया कि इसके लिए अलग से एक सॉफ्टवेयर था। अखबार ने कहा कि इस दौरान उनको लोगों के नाम, पता, फोटो, फोन नंबर और ईमेल आईडी की पूरी जानकारी मिली थी।