Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Nov, 2017 03:44 PM
त्रिपक्षीय सहयोग के तहत भारतीय गेहूं की पहली खेप ईरान के चाबहार बंदरगाह होते हुए शनिवार को अफगानिस्तान के तटवर्ती शहर जारांज पहुंची। यह शहर ईरान-अफगानिस्तान सीमा के निकट है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अफगानिस्तान के अपने समकक्ष सलाहुद्दीन रब्बानी...
काबुल: त्रिपक्षीय सहयोग के तहत भारतीय गेहूं की पहली खेप ईरान के चाबहार बंदरगाह होते हुए शनिवार को अफगानिस्तान के तटवर्ती शहर जारांज पहुंची। यह शहर ईरान-अफगानिस्तान सीमा के निकट है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अफगानिस्तान के अपने समकक्ष सलाहुद्दीन रब्बानी के साथ इस खेप को 29 अक्टूबर को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। यह पहली बार है जब भारतीय गेहूं की खेप बगैर पाकिस्तान की मदद के अफगानिस्तान पहुंच गई है।
काबुल स्थित भारतीय राजदूत मनप्रीत वोहरा ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा, 'चाबहार होते हुए गेहूं की पहली खेप का जरांज में परंपरागत गीत, नृत्य और उल्लास के साथ स्वागत किया गया। बेहद गर्व का क्षण है।' वोहरा ने बताया कि इस अवसर पर जरांज को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी की तस्वीरों से सजाया गया था। यह खेप अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के 24 अक्तूबर को भारत दौरे के बाद उपहार स्वरूप भेजी गई। हिंसाग्रस्त अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण एवं विकास में भारत प्रमुख सहयोगी है।
29 अक्तूबर को गेहूं की खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते समय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ईरान को खासतौर पर धन्यवाद दिया था। कहा था कि भारत के इस उपहार को चाबहार के रास्ते अफगानिस्तान पहुंचाने में सहयोग के लिए ईरान को धन्यवाद। पिछले वर्ष मई में भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय करार के बाद गेहूं की यह पहली खेप भेजी गई। करार के तहत चाबहार बंदरगाह को तीन देशों के बीच व्यापार का मुख्य जरिया बनाना शामिल है।