Edited By Seema Sharma,Updated: 15 Sep, 2019 08:35 AM
भारत में प्राइवेट कंपनियों को हथियार बनाने की होड़ में शामिल होने पर जोर दिया जा रहा है, जिसका सकारात्मक असर दिखने लगा है। इसका पहला उदाहरण बेंगलुरु से सामने आया है। वहां की एक कंपनी ने स्वदेशी तकनीक से स्नाइपर राइफल्स तैयार की हैं।
नई दिल्ली: भारत में प्राइवेट कंपनियों को हथियार बनाने की होड़ में शामिल होने पर जोर दिया जा रहा है, जिसका सकारात्मक असर दिखने लगा है। इसका पहला उदाहरण बेंगलुरु से सामने आया है। वहां की एक कंपनी ने स्वदेशी तकनीक से स्नाइपर राइफल्स तैयार की हैं। फिलहाल इनका प्रोटोटाइप रैडी है। एस.एस.एस. डिफैंस नाम की कंपनी ने 2 स्नाइपर राइफल्स बनाई हैं।
इसकी फैक्टरी बेंगलुरु से 28 किलोमीटर दूर जिगानी में स्थित है। फर्म को उम्मीद है कि जल्द स्पैशल फोर्स दोनों बंदूकों का ट्रायल लेगी। सब कुछ ठीक रहने पर कंपनी इन्हें एक्सपोर्ट करने पर भी विचार कर रही है। कंपनी के सी.ई.ओ. विवेक कृष्णन ने दावा किया कि वह देश की पहली ऐसी कंपनी है जिसने स्वदेशी रूप से स्नाइपर राइफल्स का डिजाइन तैयार किया और उन्हें बनाया।
क्या हैं खूबियां?
एस.एस.एस. डिफैंस द्वारा तैयार राइफल्स का नाम वाइपर और साबेर है। इनमें वाइपर में .308/7.62&51एमएम की कार्टेज और साबेर में .338 की कार्टेज लगती है। वाइपर की रेंज 1 हजार मीटर, वहीं साबेर की रेंज 1500 मीटर बताई गई है।
सेना को लंबे वक्त से इंतजार
सेना लंबे वक्त से स्नाइपर राइफल खरीदना चाहती है, लेकिन यह काम अटका हुआ है। इसके लिए 20 कंपनियों ने टैंडर भरा था, लेकिन कोई भी कंपनी गोलियों को सौदे में शामिल नहीं कर रही थी इसलिए अब तक बात नहीं बनी।