Edited By Monika Jamwal,Updated: 18 Dec, 2018 05:04 PM
नादिया निगहत के लिए रास्ता कभी आसान नहीं रहा। जम्मू-कश्मीर की पहली महिला कोच बनने के लिए उन्हें कई रूढिय़ों को तोडऩा पड़ा।
श्रीनगर : नादिया निगहत के लिए रास्ता कभी आसान नहीं रहा। जम्मू-कश्मीर की पहली महिला कोच बनने के लिए उन्हें कई रूढिय़ों को तोडऩा पड़ा। उनके लिए लोगों का यह माइंडसेट बदलना आसान नहीं रहा कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में कामयाब हो सकती हैं। नादिया ने कहा कि जब मैंने स्थानीय कॉलेज जॉइन किया तो 40-50 लडक़ों में मैं अकेली लडक़ी थी। मेरे परिवार और मुझे फुटबॉल यूफिॉर्म में लडक़ों के साथ खेलने को लेकर काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। शुरुआत में मेरा परिवार इसके खिलाफ था लेकिन बाद में मेरे पिता ने मुझे बहुत सपॉर्ट किया। इसके बाद मेरे पूरा परिवार मेरे साथ आ गया
रोनाल्डो और मेसी की फैन
नादिया फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनल मेसी की बहुत बड़ी फैन हैं। स्कूल के दिनों में फुटबॉल की ओर उनका रुझान बढ़ा। जब वह थोड़ा बड़ी हुईं तो अमर सिंह कॉलेज अकादमी में खेल के हुनर सीखने गईं। साथ ही साथ जम्मू-कश्मीर फुटबॉल एसोसिएशन ने भी नादिया को उनका काफी समर्थन किया था।
मुश्किल हालातों ने नहीं तोड़ी हिम्मत
घाटी के मुश्किल हालात के बारे में बात करते हुए नैशनल फुटबॉलर ने कहा कि जब भी इलाके में कफ्र्यू होता तो मैं घर पर खेला करती थीं। हालांकि इन मुश्किल हालात में अपने सपनों को पूरा करना आसान नहीं था लेकिन अगर आपमें जुनून हो तो आप अपना रास्ता तय कर सकते हैं।
सपनों को पूरा करने का दिया सन्देश
नादिया फिलहाल महाराष्ट्र के ठाणे में एक स्कूल में फुटबॉल सिखाती हैं। इसके अलावा वह माता-पिता से अपनी लड़कियों को फुटबॉल सिखाने के लिए कहती हैं। उन्होंने कहा, मैं सबसे अपने सपनों को पूरा करने की गुजारिश करती हूं। माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को उसी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करें जिसमें बच्चों की रुचि हो।