चालू वित्त वर्ष 2020-21 में 7 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच सकता है राजकोषीय घाटा: ब्रिकवर्क रेटिंग्स

Edited By Yaspal,Updated: 30 Aug, 2020 05:39 PM

fiscal deficit may reach 7 percent in current financial year 2020 21

देश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है। जबकि बजट में इसके 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 महामारी और उसकी...

नई दिल्लीः देश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है। जबकि बजट में इसके 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन' से आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने व राजस्व संग्रह में कमी को देखते राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीने में राजस्व संग्रह में झलकता है।''

महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के आंकड़े के अनुसार केंद्र सरकार का राजस्व संग्रह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले काफी कम रहा। आयकर (व्यक्तिगत और कंपनी कर) से प्राप्त राजस्व आलोच्य तिमाही में 30.5 प्रतिशत और जीएसटी लगभग 34 प्रतिशत कम रहा। दूसरी तरफ लोगों के जीवन और अजीविका को बचाने और आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रत के तहत प्रोत्साहन पैकेज से व्यय में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि (13.1 प्रतिशत) हुई है। एजेंसी के अनुसार, ‘‘इससे राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बजटीय लक्ष्य का 83.2 प्रतिशत पर पहुंच गया।'' ब्रिकवर्क रेटिंग्स के अनुसार अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही से धीरे-धीरे तेजी आने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘कारोबारी गतिविधियों में सुधार के शुरूआती संकेत को देखते हुए, हमारा अनुमान है कि तीसरी तिमाही के अंत तक राजस्व संग्रह कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंच जाएगा। ऐसी उम्मीद है कि त्योहारों के दौरान मांग और खपत पर व्यय बढ़ने से स्थिति सुधरेगी।'' एजेंसी ने कहा, ‘‘हालांकि अगर मौजूदा स्थिति लंबे समय तक रहती है, 12 लाख करोड़ रुपये के कर्ज लेने की घोषणा के बावजूद सरकार को बजटीय व्यय को पूरा करने के लिये कोष की कमी का सामना करना पड़ सकता है।'' रिपोर्ट के अनुसार इससे पूंजी व्यय के साथ ही मनरेगा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को छोड़कर केंद्र प्रायोजित अन्य योजनाओं पर व्यय में बड़ी कटोती हो सकती है। सरकार पहले ही आतमनिर्भर योजना के तहत मनरेगा के तहत आबंटन 40,000 करोड़ रुपये बढ़ा चुकी है।

एजेंसी ने कहा, ‘‘राजस्व में कमी की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 2020-21 में जीडीपी का करीब 7 प्रतिशत तक जा सकता है। इसमें यह माना गया है कि बाजार मूल्य पर आधारित जीडीपी पिछले साल के स्तर पर रहेगा।'' अगर अर्थव्यवस्था में पूर्व के अनुमान के मुकाबले गिरावट और बढ़ती है तो सरकार को और अधिक कर्ज लेना पड़ सकता है। राज्यों को भी जीडीपी का 2 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज लेने की अनुमति दी गयी है। इससे कुल राजकोषीय घाटा (राज्यों एवं केंद्र का मिलाकर) जीडीपी के 12 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच सकता है।

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