Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Nov, 2017 02:42 PM
भारतीय सेना में अब तक जर्मन शेफर्ड, लैब्रेडर्स और ग्रेट स्विस माउंटेन डॉग्स जैसे विदेशी नस्लों को शामिल किया जाता रहा है लेकिन पहली बार आर्मी में देसी नस्ल के कुत्तों को शामिल करने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है। मेरठ में सेना की रीमाउंट ऐंड वेटरनेरी...
नई दिल्लीः भारतीय सेना में अब तक जर्मन शेफर्ड, लैब्रेडर्स और ग्रेट स्विस माउंटेन डॉग्स जैसे विदेशी नस्लों को शामिल किया जाता रहा है लेकिन पहली बार आर्मी में देसी नस्ल के कुत्तों को शामिल करने के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है। मेरठ में सेना की रीमाउंट ऐंड वेटरनेरी कोर सेंटर ने देसी नस्ल के 6 मुधोल शिकारी कुत्तों की ट्रेनिंग तकरीबन पूरी हो चुकी है और इन्हें इसी साल के आखिर में सेना में शामिल कर लिया जाएगा। माना जा रहा है कि इन शिकारी कुत्तों की पहली तैनाती जम्मू-कश्मीर में की जा सकती है। पिछले साल इन डॉग्स को कर्नाटक के आरवीसी केंद्र भेजा गया था और तब वहां इनकी पहले गहन जांच हुई।
सेंटर में तैनात एक अफसर ने बताया, 'यह एक बिल्कुल नई पहल थी क्योंकि हमारे पास शिकारी कुत्तों को प्रशिक्षित करने का कोई अनुभव नहीं था, न ही इस पर कोई रिसर्च मौजूद था।' हालांकि ट्रनिंग से पहले इन डॉग्स को अकेले रखा ताकि इसका पता लगाया जा सके कि इनको कोई बीमारी आदि तो नहीं है। इसके बाद उन्हें आदेशपालन की बेसिक ट्रेनिंग दी गई और उसके बाद उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया। अधिकारी के मुताबिक ट्रेनिंग का पहला हिस्सा ट्रेनर और डॉग के बीच आपसी समझ और रिश्ता विकसित करना था ताकि यह कुत्ते अपने ट्रेनर के हावभाव और व्यवहार को समझें।
साथ ही ट्रेनर के लिए जरूरी था कि वे अपने डॉग की क्षमताओं को पहचानें। भविष्य में इस तरह के भारतीय नस्ल के और कुत्तों को सेना में शामिल किया जाएगा के सवाल पर ऑफिसर ने कहा कि यह जल्दबाजी फैसले वाला मसला नहीं है। मुधोल हाउंड की पहचान मजबूत वंशावलीवाले भारतीय नस्ल की है। अपनी गति और फुर्ती के साथ-साथ अपने आकार की वजह से ये अच्छे साबित हो सकते हैं। ट्रेनिंग के लिए डॉग्स के चयन में मिज़ाज और क्षमता पर विचार किया जाता है। इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगा कि भारतीय नस्ल के और कुत्तों को भविष्य में सेना में शामिल किया जाएगा या नहीं।'