Edited By Seema Sharma,Updated: 28 Jan, 2021 02:40 PM
पूर्वी लद्दाख में पिछले साल हुईं घटनाओं को लेकर चीन के साथ LAC पर चल रहे गतिरोध के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इससे दोनों देशों के रिश्तों पर काफी असर पड़ा है। जयशंकर ने कहा कि चीन ने लद्दाख में अलग-अलग घटनाओं को अंजाम देकर न सिर्फ सैनिकों...
नेशनल डेस्क: पूर्वी लद्दाख में पिछले साल हुईं घटनाओं को लेकर चीन के साथ LAC पर चल रहे गतिरोध के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इससे दोनों देशों के रिश्तों पर काफी असर पड़ा है। जयशंकर ने कहा कि चीन ने लद्दाख में अलग-अलग घटनाओं को अंजाम देकर न सिर्फ सैनिकों की संख्या को कम करने की प्रतिबद्धता का अनादर किया, बल्कि शांति भंग करने की इच्छा भी दर्शाई है। इन घटनाओं से जाहिर होता है कि चीन शांति नहीं चाहता है।
विदेश मंत्री ने कहा कि हमें चीन के रुख में बदलाव और सीमाई इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती पर अब भी कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने मुद्दा यह है कि चीन का रुख क्या संकेत देना चाहता है, ये कैसे आगे बढ़ता है और भविष्य के संबंधों के लिए इसके क्या निहितार्थ हैं। जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर कहा कि साल 2020 में हुई घटनाओं ने हमारे संबंधों पर वास्तव में अप्रत्याशित दबाव बढ़ा दिया है।संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता, आपसी हित जैसी परिपक्वता पर आधारित हों।
विदेश मंत्री ने कहा कि अगर संबंधों को स्थिर और प्रगति की दिशा में लेकर जाना है तो नीतियों में पिछले तीन दशकों के दौरान मिले सबकों पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि जो समझौते हुए हैं, उनका पूर्णतया पालन किया जाना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि सीमाई इलाकों में शांति चीन के साथ संबंधों के संपूर्ण विकास का आधार है, अगर इसमें कोई व्यवधान आएगा, तो निसंदेह बाकी संबंधों पर भी इसका असर पड़ेगा। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत-चीन संबंध दोराहे पर हैं और चुने गए विकल्पों का न केवल दोनों देशों बल्कि पूरी दुनिया पर गहरा प्रभाव होगा।