पद्म विभूषण पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी का कोरोना से निधन, PM मोदी-राष्ट्रपति ने जताया शोक

Edited By Seema Sharma,Updated: 30 Apr, 2021 02:14 PM

former attorney general soli sorabjee died from corona

देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल एवं जाने-माने कानूनविद सोली सोराबजी का शुक्रवार सुबह कोरोना से निधन हो गया। वह 91 साल के थे। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी ने सोली सोराबजी के निधन पर शोक जताया है।...

नेशनल डेस्क: देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल एवं जाने-माने कानूनविद सोली सोराबजी का शुक्रवार सुबह कोरोना से निधन हो गया। वह 91 साल के थे। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी ने सोली सोराबजी के निधन पर शोक जताया है। राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट किया कि सोली सोराबजी के निधन से हमने भारत की विधि-न्याय व्यवस्था की महत्वपूर्ण शख्सियत खो दी। वह उन चुनिंदा लोगों में थे, जिन्होंने संवैधानिक कानून और न्याय प्रणाली के विकास को गहराई से प्रभावित किया। पीएम मोदी ने सोराबजी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह उत्कृष्ट वकील थे और कानून के जरिए गरीबों एवं वंचितों की मदद करने के लिए आगे रहते थे।

 

सोराबाजी का covid-19के कारण यहां एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 91 साल के थे। वह 1989-90 और 1998-2004 तक भारत के अटॉर्नी जनरल रहे। मोदी ने ट्वीट किया कि सोली सोराबजी उत्कृष्ट वकील और विद्वान थे। वह कानून के जरिए गरीबों और वंचितों की मदद करने में आगे रहते थे। उन्हें भारत के अटॉर्नी जनरल के तौर पर उल्लेखनीय कार्यकाल के लिए याद रखा जाएगा। उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। पद्म विभूषण से सम्मानित सोराबजी का जन्म 1930 में मुंबई (तब बम्बई) में हुआ था। उन्होंने 1953 में बॉम्बे हाईकोर्ट से अपने करियर की शुरुआत की। साल 1971 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।

 

सोराबजी 1989 से 1990 और फिर 1998 से 2004 तक देश के एटर्नी जनरल रहे थे। मानवाधिकारों के ध्वजवाहक वकील के तौर पर मशहूर सोराबजी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1997 में नाइजीरिया के लिए विशेष प्रतिवेदक (रैपोटर्र) नियुक्त किया गया था, ताकि वहां की मानवाधिकारों की स्थिति पर रिपोटर् मिल सके। वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा से जुड़े कई मामलों में शामिल रहे थे और उन्होंने प्रकाशनों पर सेंसरशिप आदेशों और प्रतिबंधों को हटाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मार्च 2002 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था, जो देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।

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