गांगुली और द्रविड़ के साथ खेल चुके पूर्व क्रिकेटर ने खोला दर्द का राज, कहा- 'मैं बदनाम हो गया'

Edited By Mahima,Updated: 28 Aug, 2024 02:49 PM

former cricketer who played with ganguly and dravid revealed

1999 की पेप्सी कप त्रिकोणीय सीरीज भारतीय क्रिकेट की एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसमें भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने भाग लिया था। इस सीरीज में भारत की हार की कहानी एक नई दिशा में मोड़ लेती है, खासकर ज्ञानेंद्र पांडे के करियर के संदर्भ में।

नेशनल डेस्क: 1999 की पेप्सी कप त्रिकोणीय सीरीज भारतीय क्रिकेट की एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसमें भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने भाग लिया था। इस सीरीज में भारत की हार की कहानी एक नई दिशा में मोड़ लेती है, खासकर ज्ञानेंद्र पांडे के करियर के संदर्भ में। इस सीरीज में भारत और पाकिस्तान के बीच फाइनल मैच खेला गया था, जिसमें भारत को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। ज्ञानेंद्र पांडे, जो कि उस समय भारत के प्लेइंग इलेवन का हिस्सा थे, ने अब इस अनुभव को लेकर खुलासा किया है और बताया है कि किस प्रकार उनका करियर एक कठिन मोड़ पर आ गया।

अपने दर्दनाक अनुभवों के बारे में किया खुलासा
ज्ञानेंद्र पांडे, जिन्होंने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत में शानदार प्रदर्शन किया था, ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने दर्दनाक अनुभवों के बारे में खुलासा किया। पांडे ने बताया कि कैसे 1997 में घरेलू क्रिकेट में उनके शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें भारतीय टीम में चयनित होने की उम्मीद थी। उन्होंने दलीप ट्रॉफी फाइनल में 44 रन बनाए थे और तीन विकेट भी लिए थे। इसके अलावा, देवधर ट्रॉफी में भी उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था। उन्होंने नॉर्थ जोन, वेस्ट जोन, और साउथ जोन के खिलाफ प्रभावशाली खेल दिखाया था और चैलेंजर ट्रॉफी में भी महत्वपूर्ण विकेट लिए थे।

इसके बावजूद, उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर अपेक्षाकृत छोटा था। पांडे ने बताया कि 1999 में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उन्हें जगह मिल सकती थी, लेकिन बीसीसीआई के सचिव जयंत लेले ने उनके चयन में बाधा डाल दी। लेले ने सुझाव दिया था कि अगर अनिल कुंबले को ब्रेक चाहिए तो सुनील जोशी को टीम में शामिल किया जाए। पांडे ने कहा, "जयंत लेले को मेरी परफॉर्मेंस देखनी चाहिए थी। मुझे उस समय यह सब समझ नहीं आया, और मुझे लगा कि यह मेरी गलती थी कि मैं उन ट्रिक्स को नहीं जानता था।"

क्रिकेट करियर हुआ समाप्त 
ज्ञानेंद्र पांडे ने कहा कि इस घटना के बाद उनका करियर पटरी से उतर गया। उन्होंने यह भी बताया कि मीडिया ने उनकी कहानी को सही तरीके से पेश नहीं किया और कोई भी उनके पक्ष में कुछ नहीं पूछे। इस स्थिति के कारण उन्होंने खुद को बदनाम महसूस किया और उनका क्रिकेट करियर प्रभावी रूप से समाप्त हो गया। पांडे ने कहा, "मैं इस बात को ठीक से संभाल नहीं सका और मेरा करियर प्रभावित हो गया। मीडिया ने मेरी सच्चाई को नहीं दिखाया और मेरे बारे में सही जानकारी नहीं दी।"

आजकल, ज्ञानेंद्र पांडे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में पीआर एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। हालांकि वह क्रिकेट की दुनिया में अपनी पहचान नहीं बना पाए, लेकिन उनके क्रिकेट करियर के अनुभव और संघर्ष एक महत्वपूर्ण कहानी हैं जो क्रिकेट जगत की कठोर वास्तविकताओं को उजागर करती हैं। पांडे का मामला यह दर्शाता है कि क्रिकेट के चयन और प्रदर्शन से जुड़े फैसले किस प्रकार एक खिलाड़ी के करियर को प्रभावित कर सकते हैं, और कैसे कभी-कभी एक खिलाड़ी की मेहनत और टैलेंट को सही तरीके से सराहा नहीं जाता।

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