पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बजट को बताया निराशाजनक, बोले- महंगाई एवं बेरोजगारी को लेकर नहीं उठाए ठोस कदम

Edited By Yaspal,Updated: 23 Jul, 2024 05:53 PM

former finance minister p chidambaram called the budget disappointing

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने केंद्रीय बजट को निराशाजनक करार देते हुए सोमवार को कहा कि महंगाई एवं बेरोजगारी को लेकर कुछ ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं तथा आम लोगों को कोई राहत नहीं दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि दो तरह की कर प्रणाली सही विचार...

नेशनल डेस्कः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने केंद्रीय बजट को निराशाजनक करार देते हुए सोमवार को कहा कि महंगाई एवं बेरोजगारी को लेकर कुछ ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं तथा आम लोगों को कोई राहत नहीं दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि दो तरह की कर प्रणाली सही विचार नहीं है और इसे स्वीकारा नहीं जा सकता। चिदंबरम ने कहा, "इस सरकार का पहला बजट बहुत निराशाजनक है।" उन्होंने दावा किया कि बेरोजगारी के मोर्चे पर सरकार ने कोई प्रभावशाली कदम नहीं उठाए हैं। उनका कहना था, "यह दावा कि वित्त मंत्री द्वारा घोषित योजनाओं से 2.90 करोड़ लोगों को लाभ होगा, अत्यधिक अतिशयोक्तिपूर्ण है।

चिदंबरम ने कहा, "महंगाई दूसरी बड़ी चुनौती है. डब्ल्यूपीआई (थोक मूल्य सूचकांक) मुद्रास्फीति 3.4 प्रतिशत, सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत और खाद्य मुद्रास्फीति 9.4 प्रतिशत है।" उन्होंने दावा किया, "आर्थिक सर्वेक्षण ने चंद वाक्यों में महंगाई के मुद्दे को खारिज कर दिया। वित्त मंत्री ने अपने भाषण के पैरा तीन में 10 शब्दों में इसे खारिज कर दिया। हम सरकार के लापरवाह रवैये की निंदा करते हैं।"

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि बजट भाषण कहीं भी यह विश्वास नहीं दिलाता कि सरकार मुद्रास्फीति के मुद्दे से गंभीरता से निपटेगी। उन्होंने कहा, "शिक्षा से संबंधित मुद्दा नीट और घोटालों से ग्रस्त राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी है। कई राज्यों ने मांग की है कि नीट को खत्म कर दिया जाना चाहिए और राज्यों को चिकित्सा शिक्षा में विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए उम्मीदवारों के चयन के अपने तरीके अपनाने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए। इस पर कोई जबाव नहीं आया।" उन्होंने दावा किया कि कर भुगतान करने वाले नागरिकों को 0-20 प्रतिशत कर दायरे में कुछ राहत दी गई है, लेकिन गरीबों को कोई राहत नहीं दी गई है। उन्होंने कहा, "किसान विरोध के लिए लामबंद हो रहे हैं। उनकी मांगों में से एक यह है कि कृषि उपज के लिए घोषित एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को कानूनी गारंटी द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए। (इस मांग का) कोई जबाव नहीं दिया गया।"

चिदंबरम ने कहा, "कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों ने मांग की है कि गलत और भेदभावपूर्ण "अग्निपथ" योजना को तुरंत खत्म किया जाना चाहिए और सशस्त्र बलों में भर्ती के पहले के तरीकों को फिर से शुरू करना चाहिए। इस पर भी कोई जबाव नहीं।" उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना को रद्द करने का आंदोलन जारी रहेगा। चिदंबरम ने कहा कि दो कर वाली व्यवस्था घटिया विचार है और यह अस्वीकार्य है।

इससे पहले पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया था, ‘‘मुझे यह जानकर खुशी हुई कि माननीय वित्त मंत्री ने चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस का लोकसभा 2024 का घोषणापत्र पढ़ा है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि उन्होंने कांग्रेस घोषणापत्र के पृष्ठ 30 पर उल्लिखित रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन (ईएलआई) को वस्तुतः अपना लिया है।'' उनका कहना था, ‘‘मुझे इस बात की भी खुशी है कि उन्होंने कांग्रेस घोषणापत्र के पृष्ठ 11 पर उल्लिखित प्रत्येक प्रशिक्षु के लिए भत्ते के साथ-साथ प्रशिक्षुता योजना भी शुरू की है। काश, वित्त मंत्री ने कांग्रेस घोषणापत्र में कुछ अन्य विचारों की नकल की होती।

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