अध्यादेश के बचाव में उतरी भाजपा, पूर्व कानून मंत्री बोले- शीशमहल की जांच से भागना चाहती है दिल्ली सरकार

Edited By Yaspal,Updated: 20 May, 2023 05:05 PM

former law minister said  delhi government wants to run away

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को कहा कि दिल्ली में अधिकारियों के तबादले और पदस्थापना के संबंध में केंद्र द्वारा लाया गया अध्यादेश ''पारदर्शिता और जवाबदेही'' सुनिश्चित करने के लिए है

नेशनल डेस्कः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को कहा कि दिल्ली में अधिकारियों के तबादले और पदस्थापना के संबंध में केंद्र द्वारा लाया गया अध्यादेश ''पारदर्शिता और जवाबदेही'' सुनिश्चित करने के लिए है। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पटना में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल के अपने संबंधित फैसले में ‘‘दिल्ली में प्रशासन के संबंध में किसी विशेष कानून की अनुपस्थिति'' का हवाला दिया था।

प्रसाद ने कहा, ‘‘हमें अध्यादेश लाना पड़ा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ दिनों के भीतर दिल्ली सरकार ने 2010 बैच के आईएएस अधिकारी वाई के राजशेखर का तबादला कर दिया जो "शीशमहल" में अनियमितताओं की जांच कर रहे थे।'' प्रसाद का इशारा दिल्ली के मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के नवीनीकरण पर भारी खर्च की ओर था। उन्होंने कहा कि अध्यादेश के अनुसार जो समिति अब इस तरह के तबादलों और पदस्थापना की सिफारिश करेगी उसकी अध्यक्षता अभी भी दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा की जाएगी।

प्रसाद ने कहा, ‘‘दिल्ली भारत का दिल है। देश की राजधानी के रूप में पूरे देश का इस पर दावा है, जिसका दौरा अक्सर दुनिया भर के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। इसलिए हमें एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता थी जो स्थानांतरण और पदस्थापना में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित कर सके।'' प्रसाद ने कहा, “राजशेखर दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं की भी जांच कर रहे थे। न केवल उनका तबादला कर दिया गया बल्कि एक एनजीओ द्वारा लगाए गए झूठे आरोपों पर उनके खिलाफ एक मामला भी दर्ज किया गया है।''

पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री ने सचिव आशीष मोरे सहित दो "दलित आईएएस अधिकारियों" को कथित तौर पर डराने-धमकाने का भी मामला उठाया, जिन्होंने मंत्री सौरभ भारद्वाज के खिलाफ शिकायत करते हुए दिल्ली के मुख्य सचिव और उपराज्यपाल को एक पत्र लिखा है। भाजपा नेता प्रसाद ने कहा, "इसलिए, अध्यादेश लाना आवश्यक था जो अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा और ईमानदार लोगों की रक्षा भी करेगा।''

दो हजार रुपये के नोट को चलन से बाहर करने के बारे में एक सवाल पर रविशंकर प्रसाद ने कहा, "आरबीआई द्वारा जारी एक विस्तृत पत्र में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि इन नोट का उपयोग कैसे कम हो रहा है। हम अपने कांग्रेसी मित्रों को याद दिलाना चाहते हैं कि मनमोहन सिंह के शासन काल में भी पुराने नोट का चलन बंद कर दिया जाता था। इसलिए उन्हें इसे नोटबंदी नहीं कहना चाहिए।'' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, "यदि ये नोट धनशोधन के लिए उपयोग में थे, तो इन्हें खत्म करने से ऐसे नेटवर्क प्रभावित होंगे।''

कर्नाटक में नये मंत्रिमंडल के शपथग्रहण समारोह के बारे में, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित विभिन्न गैर-कांग्रेसी नेताओं ने भाग लिया, भाजपा नेता प्रसाद ने कहा, “ओडिशा, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के मुख्यमंत्री इस समारोह शामिल नहीं हुए जिससे यह स्पष्ट है कि विपक्षी एकता एक दिवास्वप्न है।” नीतीश कुमार द्वारा एक दिन पहले गलती से अपने प्रधान सचिवों में से एक को "प्रधानमंत्री के प्रधानसचिव" के रूप में संबोधित किये जाने पर कटाक्ष करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, "दिन में सपने देखने पर कोई रोक नहीं है लेकिन निश्चित तौर पर 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए कोई ‘वैकेंसी' नहीं है।

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