चार ग्रहों ने यूं रचा बेरहम मौत का खेल

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 26 Apr, 2018 05:32 PM

four planets have played the role of untimely death

वर्तमान परिस्थितियों में संसार और भारत ने कुछ अप्रिय घटनाएं देखी हैं। कुछ ऐसी घटनाएं जिसने मन को पसीज कर रख दिया है। पिछला लगभग एक महिना गवाह है सैंकड़ों बच्चों के दर्दनाक मौत के मंज़र का । इसे मात्र पीड़ा नहीं है परंतु इसे दैवीय या ग्रहीय कोप भी

वर्तमान परिस्थितियों में संसार और भारत ने कुछ अप्रिय घटनाएं देखी हैं। कुछ ऐसी घटनाएं जिसने मन को पसीज कर रख दिया है । पिछला लगभग एक महिना गवाह है सैंकड़ों बच्चों के दर्दनाक मौत के मंज़र का । इसे मात्र पीड़ा नहीं है परंतु इसे दैवीय या ग्रहीय कोप भी कहा जा सकता है। सबसे पहले सोमवार दिनांक 09.04.18 को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित नूरपुर - चंबा राजमार्ग पर गुरचल गांव के निकट एक स्कूल बस गहरी खाई में गिर गयी, जिसमें 27 बच्चों सहित 30 लोगों की मौत हो गयी । इसके बाद भारत से सात समुंदर पार कनाडा के टोरंटो में मंगलवार दिनांक 24.04.18 को तकरीबन 01:30 बजे एक ट्रक ने राहगीरों को कुचल दिया था, जिसमें 10 लोगों की मौत हुई। सिलसिला अभी थमा ही नहीं था कि आज सुबह फिर से 2 दर्दनाक हादसे हो गए,  पहला हादसा उत्तर प्रदेश का है, उत्तर प्रदेश कुशीनगर जिले में एक स्कूल वैन ट्रेन से टकराई  जिसमें 13 बच्चों सहित 14 की मौत हो गई। दूसरी घटना दिल्ली की है जहां कन्हैया नगर मैट्रो स्टेशन के पास एक स्कूल बस की टक्कर हुई जिसमें 1 मौत व 18 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए । ज्योतिष की दृष्टि से इन सभी पीड़ादायक घटनाओं के पीछे तीन बहुत घातक ग्रह स्थितियां बन रही हैं। पहली शनि-मंगल का द्वंद योग, दूसरा शनि व गुरु की वक्र अवस्था और तीसरा मंगल और राहू का षडाष्टक योग।


ज्योतिष शास्त्र में शनि और मंगल दोनों को पाप ग्रह माना गया है। शनि व मंगल परस्पर शत्रुता रखते हैं। इसीलिए ये दोनों ग्रह अगर साथ-साथ हों, तो जीवन को कष्टकारी बनाते ही हैं। इन दोनों ग्रहों का आपस में विपरीत होना विश्व में अशांति, अमंगल, भय आदि की परिस्थितियां बनाता है। ज्योतिष शास्त्रों में शनि-मंगल की युति को द्वंद्व योग की संज्ञा दी गई है अर्थात खून-खराबा, प्राकृतिक आपदाओं व अमंगल घटनाएं घटित होने के संकेत हैं। शास्त्रों में मंगल को शक्ति, हठ, भूमि, सेना, खून, विस्फोट, आग आदि का कारक माना गया है जबकि दूसरी ओर शनि को आलस्य, न्याय, तोड़-फोड़ व शत्रु आदि व्यक्ति का कारक माना गया है। वर्तमान स्थिति में शनि-मंगल के द्वंद योग के साथ-साथ दो प्रमुख ग्रह शनि और गुरु वक्र अवस्था में आ गए हैं। देवगुरु बृहस्पति शुक्रवार दिनांक 09.03.18 को सुबह 10:09 से लेकर मंगलवार दिनांक  10.07.18 को रात 22:46 तक वक्र अवस्था में रहेंगे। शनिदेव बुधवार दिनांक 18.04.18 सुबह 07:10 से लेकर गुरुवार दिनांक 06.09.18 को शाम 17:02 तक वक्र अवस्था में रहेंगे।  चूंकि मंगल और शनि दोनों ही पापी ग्रह हैं इसलिए ये प्रत्येक जातक को प्रभावित करते है। कालपुरुष सिद्धान्त के अनुसार शनि-मंगल की युति नवम या धर्म स्थान में है।


साल 2018 में शनि और मंगल की युति 7 मार्च से 2 मई 2018 तक है। इसलिए ये 57 दिन न केवल प्रत्येक राशि के जातकों के लिए परेशानी भरे हैं, बल्कि देश-दुनिया के लिए भी शनि-मंगल की युति भयानक हालात भी पैदा कर सकती है। शनि पहले से ही धनु राशि में चल रहे हैं। मंगल 7 मार्च 2018 को सायं 6.30 बजे के धनु राशि में प्रवेश कर गए थे। जिससे शनि-मंगल की युति हो गयी थी। मंगल इस राशि में 2 मई को सायं 4.18 बजे तक रहेंगे। मंगल 7 मार्च, 2018 को भारतीय समयानुसार शाम 18:27 बजे मूल नक्षत्र के प्रथम चरण में होते हुए धनु राशि में प्रवेश कर गए थे और 2 मई 2018 बाद दोपहर 14:19 तक इसी राशि में रहेंगे। इसी कारण कर्क राशि के अश्लेषा नक्षत्र में बैठे राहु से इसका छठा-आठवां संबंध बन गया है। ज्योतिष में इसे षडाष्टक योग कहा जाता है। षडाष्टक योग दुर्घटनाओं के साथ-साथ अकाल मृत्यु का कारण भी है। शनि पहले से ही धनु राशि में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में गोचर कर रहा है। शनि-मंगल की युति, संबंध और स्वभाव के साथ ही दोनों नक्षत्र भी अग्नि तत्व हिंसक होने से कुछ विपरीत परिस्थितियां को दर्शाती है। इसी कारण शनि-मंगल की युति कुछ अप्रिय घटनाओं की स्थितियां उत्पन्न होने के संकेत देती है। इस युति का असर सभी लोगों के स्वास्थ्य व स्वभाव पर पड़ेगा। 

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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