कठुआ बलात्कार-हत्या मामले में पीडीपी और भाजपा में मतभेद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Apr, 2018 04:37 PM

friction between bjp and pdp

कठुआ बलात्कार-हत्या मामले ने जम्मू -कश्मीर की सियासत में हलचल पैदा कर दी है।

श्रीनगर  : कठुआ बलात्कार-हत्या मामले ने जम्मू -कश्मीर की सियासत में हलचल पैदा कर दी है। इस जघन्य मामले ने यहां की राजनीति को हिंदू बनाम मुस्लिम भी कर दिया है और जम्मू बनाम कश्मीर में भी बांट दिया है। पी.डी.पी. और भाजपा दोनों अपने-अपने वोटबैंक को बचाने की कवायद में जुटे हुए हैं। सूत्रों की मानें तो इस मामले के बाद पी.डी.पी. और भाजपा में मतभेद है। पी.डी.पी. कह रही है कि क्राइम ब्रांच की जांच चले, वही निपटारा कर सकती है और भाजपा का मानना है कि लोग अगर सीबीआई जांच चाहते हैं तो उसमें कोई दिक्कत होनी नहीं चाहिए।

दरअसल, दिक्कत यह है कि दोनों अपने-अपने वोटबैंक को देखते हैं। पी.डी.पी. का जो वोटबैंक है वो कश्मीर घाटी है और कुछ मुस्लिम वाले इलाके हैं, जबकि भाजपा का वोटबैंक जम्मू संभाग का है। इसलिए जैसे ही कठुआ कांड को हिंदू-मुस्लिम रंग दिया गया, यह मामला जम्मू बनाम कश्मीर हो गया। कश्मीर में पी.डी.पी. की सबसे बड़ी प्रतियोगी नेशनल कांफ्रेंस है। इसलिए पीडीपी की समस्या ये है कि वो अपना वोटबैंक खोना नहीं चाहती। जब पी.डी.पी. ने भाजपा से गठबंधन किया था, उस समय भी यहां लोगों में नाराजगी थी, क्योंकि जब पी.डी.पी. ने चुनाव लड़ा था तो उन्होंने भाजपा को बाहर रखने के लिए लड़ा था। उस चीज को नेशनल कांफ्रेंस भुनाना चाहती है।

 

समर्थक मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
पी.डी.पी. की जो आवाज है वो ये कहती है कि आरोपियों का समथर्न करने वाले प्रदर्शनकारियों को समर्थन करने जो दो मंत्री गए थे, उनके खिलाफ  भाजपा कोई कार्रवाई करें, ताकि ‘डैमेज कंट्रोल’ हो सके। पी.डी.पी. ने शनिवार को श्रीनगर में अपने पार्टी के विधायकों और पदाधिकारियों की मीटिंग बुलाई। पार्टी इस मीटिंग को रूटीन बता रही है, लेकिन वो है इसी संदर्भ में कि पार्टी को जो डैमेज हो रहा है उस पर क्या रास्ता अख्तियार करना चाहिए। भाजपा पर कैसे दबाव डालना चाहिए जिससे उन दो मंत्रियों पर कोई कार्रवाई हो, ताकि घाटी में उनकी पकड़ कायम रहे, क्योंकि घाटी में उनका प्रतिद्वंदी नेशनल कांफ्रेंस है। वह पहले ही ताक में बैठा हुआ है कि किसी तरह पीडीपी को डैमेज हो जाए।

 

पुलआउट के मूड में पीडीपी
चर्चा चल रही है कि पी.डी.पी. शायद पुलआउट कर सकती है कि हम सरकार में नहीं रहेंगे, लेकिन मुझे लगता है कि वो इस हालात में नहीं है, क्योंकि वो जमीन खो चुके हैं। आजकल घाटी के हालत ऐसे हैं कि चुनाव के लिए जा नहीं सकते। पी.डी.पी. के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद की जब मृत हुई थी उसके बाद महबूबा काफी देर तक अनिच्छुक रही थीं। उन्होंने बोला था कि जब तक भाजपा ‘एजेंडा ऑफ  एलाएंस’ पर राजी नहीं होगी तब तक वह सरकार नहीं बनाएगी। उस दौरान उन्हीं की पार्टी के कुछ विधायक पार्टी छोडऩे के मूड में आ गए थे। इसलिए पीडीपी सरकार छोड़ नहीं सकती।

 

असमंजस में भाजपा
अब पी.डी.पी. कोशिश यह करेगी कि किसी तरह भाजपा के मंत्रियों के खिलाफ  कार्रवाई हो ताकि जो छवि खराब हुई है तो वह बच जाए, लेकिन दिक्कत यह है कि अगर भाजपा अपने दो मंत्रियों से इस्तीफा मांगती है या उनके खिलाफ  कोई सख्त कार्रवाई कर लेती है तो जम्मू के अंदर उनका अपना नुकसान हो सकता है। ऐसे में भाजपा के दोनों मंत्रियों पर कोई प्रतीकात्मक कार्रवाई हो सकती है वह भी दिल्ली दरबार से होगी। राज्य भाजपा कुछ नहीं कर सकती।
 

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