Edited By Monika Jamwal,Updated: 21 May, 2018 02:53 PM
आए दिन पाकिस्तानी सेना द्वारा की जाने वाली गोलाबारी के डर के मारे नियंत्रण रेखा के आस पास बसे क्षेत्रों के किसान अब दिन के बजाए रात के अंधेरे में अपने खेतों में गेहूं की कटाई के काम को अंजाम दे रहे हंै।
पुंछ : आए दिन पाकिस्तानी सेना द्वारा की जाने वाली गोलाबारी के डर के मारे नियंत्रण रेखा के आस पास बसे क्षेत्रों के किसान अब दिन के बजाए रात के अंधेरे में अपने खेतों में गेहूं की कटाई के काम को अंजाम दे रहे हंै। जहां आम लोग रात को अपने घरों में चैन की नींद सो रहे होते हैं वहीं नियंत्रण रेखा के आस पास के किसान खेतों में कटाई के काम में जुटे होते हैं ताकि किसी तरह अपनी खून पसीने की कमाई से तैयार फसल को समेट कर घर के अंदर पहुंचा सकें। नियंत्रण रेखा पार पाक सेना की अग्रीम चोकियों से मात्र दो डाई सो मीटर की दूरी पर बसे गांव दिगवार मलदेयालां में रात के समय कटाई के काम में जुटे किसानों का कहना है कि अगर हम लोग दिन के समय खेतों में काम के लिए आते हैं तो पाक सेना द्वारा गोलाबारी शुरू कर दी जाती है।
लोगों का कहना है कि अब तो पाक सेना ने हम लोगों को भी स्नाईपर का निशाना बना शुरू कर दिया है। गत दिनों हमारे गांव के एक दम सामने के गांव कलसां में एक शादी वाले घर पर पाक सेना द्वारा गोलीबारी कर एक युवक को निशाना बनाया गया है। हालांकि रात को कटाई करने में भी हमें सांप और दूसरे जहरीले जीव जंतुओं का खतरा बना रहता है परन्तु दिन में सबसे बड़ा खतरा पाकिस्तानी सेना की तरफ से प्रयोग की जाने वाली स्नाईपर की गोलीबारी है जिसमें वो सीधे सीधे एक-एक को अपना शिकार बना सकते हैं। गुप अंधेरे में अंदाजे पर गेहूं की कटाई के काम में लगे किशोर कुमार,सुनील कुमार,मोहमद रफीक,एजाज अहमद आदि का कहना है कि अभी तक तो उपर वाले की मेहरबानी है कि हमारे इलाके में पाक सेना की गोलाबारी शांत है।
फसल काटने में पड़ोसी कर रहे एक दूसरे की मद्द
दिन में कटाई के काम में किसान मज़दूर भी लगा लेते थे परन्तू रात के लिए कोई मजदूर काम पर नहीं आता है ऐसे में लोग आस पड़ोस के आठ दस लोग एक दिन एक के खेतों में कटाई का काम करते हैं तो दूसरे दिन दूसरे के खेतों में ताकि सबकी फसल जल्दी कट जाए। मोहमद रफीक का कहना है कि हमारे खेतों से पाकिस्तानी सीमा मात्र दो सो मीटर दूर है जहां से वह दिन के समय हमारी जरा सी हरकत पर गोलियां दागने लगते हैं।रात में कम से कम इस बात का डर नहीं होता कि वह गोलीबारी करेंगे क्योंकि रात को उन्हें हमारी हरकत नजर नहीं आती है। हम भी खेतों में काम करते हुए किसी प्रकार की लाईट का प्रयोग नहीं करते हैं आपस में बातें भी धीमें स्वर में करते हैं।हमें मोर्टार के गोलों का इतना डर नहीं होता क्योंकि उनका यह पता नहीं होता कि वह कहंा गिरेंगे परन्तू स्नाईपर की गोली तो सीधे आ कर लगती है और बंदा वहीं डेर हो जाता है। गौरतलब हैकि पहले पाक सेना द्वारा स्नाईपर का प्रयोग केवल भारतीय सेना के जवानों के लिए किया जाता था परन्तू गांव कलसंा की घटना के बाद आम लोगों को भी स्नाईपर का डर सताने लगा है।