सीबीआई बनाम सीबीआई: जानिए राकेश अस्थाना से जुड़ा पूरा घटनाक्रम

Edited By vasudha,Updated: 11 Jan, 2019 06:17 PM

full case about rakesh asthana

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को रिश्वत के आरोपों पर सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इंकार कर दिया। अदालत के इस फैसले से जुड़़े घटनाक्रम इस प्रकार हैं...

नेशनल डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को रिश्वत के आरोपों पर सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इंकार कर दिया। अदालत के इस फैसले से जुड़़े घटनाक्रम इस प्रकार हैं: 

अप्रैल 2016: गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक नियुक्त।     
3 दिसंबर 2016: सीबीआई के तत्कालीन प्रमुख अनिल सिन्हा के इस्तीफे के बाद अस्थाना एजेंसी के अंतरिम निदेशक बने।     
19 जनवरी 2017: आलोक वर्मा दो साल के कार्यकाल के लिए सीबीआई प्रमुख नियुक्त। 
22 अक्टूबर 2017: सीबीआई ने अस्थाना को विशेष निदेशक बनाया।
12 जुलाई 2018: वर्मा के विदेश दौरे पर रहते हुए, सीवीसी ने पदोन्नति पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई, पूछा कि इसमें कौन शामिल होगा। सीबीआई ने जवाब दिया कि अस्थाना को वर्मा का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार नहीं है।
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24 अगस्त 2018: अस्थाना ने कैबिनेट सचिव को शिकायत करके वर्मा द्वारा कदाचार का आरोप लगाया। मामला सीवीसी को भेजा गया। 
21 सितंबर 2018: सीबीआई ने सीवीसी से कहा, अस्थाना भ्रष्टाचार के छह मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं।   
15 अक्टूबर 2018: सीबीआई ने अस्थाना, पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार, दुबई के निवेश बैंकर मनोज प्रसाद तथा उनके भाई सोमेश प्रसाद के खिलाफ रिश्वत के आरोपों को लेकर प्राथमिकी दर्ज की।     
16 अक्टूबर 2018: सीबीआई ने बिचौलिया मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया। 
20 अक्टूबर 2018: सीबीआई ने कुमार के आवास और मुख्यालय के उनके कार्यालय पर छापे मारे, उनके मोबाइल फोन तथा आईपैड जब्त करने का दावा किया।      
22 अक्टूबर 2018: सीबीआई ने कुमार को गिरफ्तार करके आरोप लगाया कि उन्होंने मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले की जांच का सामना कर रहे कारोबारी सतीश सना के बयानों में छेड़छाड़ की। 
23 अक्टूबर 2018: कुमार उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने के लिए अदालत पहुंचे। इसके बाद, अस्थाना भी प्राथमिकी खारिज करने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय पहुंचे। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अस्थाना के खिलाफ यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया, सीबीआई और वर्मा का जवाब मांगा।
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26 अक्टूबर 2018: अस्थाना से जुड़े रिश्वत आरोपों के संबंध में गिरफ्तार कथित बिचौलिया मनोज प्रसाद प्राथमिकी निरस्त कराने के लिए उच्च न्यायालय पहुंचा। 
29 अक्टूबर 2018: उच्च न्यायालय ने बिचौलिये प्रसाद की याचिका पर सीबीआई का जवाब मांगा।   
1 नवंबर 2018: सीबीआई ने अदालत से कहा कि अस्थाना तथा अन्य के खिलाफ रिश्वत आरोपों पर प्राथमिकी संज्ञेय अपराधों को दिखाती है। 
28 नवंबर 2018: अदालत ने तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक ए के शर्मा को अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी से संबंधित केस फाइल सीवीसी के कार्यालय में देखने की अनुमति दी।     

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7 दिसंबर 2018: अस्थाना ने अदालत में दावा किया कि उनके तथा डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सरकार की पूर्व मंजूरी की जरूरत है। उनके वरिष्ठ अधिकारी ने इससे इंकार किया।     
11 दिसंबर 2018: उच्च न्यायालय ने हैदराबाद के कारोबारी सना की याचिका पर सीबीआई का जवाब मांगा। 
20 दिसंबर 2018: अदालत ने अस्थाना और अन्य की प्राथमिकी रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा। 
10 जनवरी 2019: देवेंद्र कुमार विभिन्न अधिकारियों के तबादले के आदेश को पलटने के वर्मा के आदेश के खिलाफ अदालत पहुंचे। 
11 जनवरी 2019: उच्च न्यायालय ने अस्थाना, कुमार और कथित बिचौलिये प्रसाद के खिलाफ प्राथमिकी रद्द करने से इंकार किया। आपराधिक कार्यवाही से छूट का अंतरिम आदेश वापस लिया।      

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