ऑफ द रिकॉर्डः प्रधानमंत्री पद की दौड़ में गडकरी आगे, राजनाथ भी पीछे नहीं

Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Jan, 2019 08:39 AM

gadkari is ahead in the race for the post of prime minister

सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी 2012 के बाद से प्रधानमंत्री के पद की दौड़ में बने हुए हैं। आर.एस.एस. नेतृत्व ने 2009 में गडकरी को भाजपा अध्यक्ष बनाया था और एल.के. अडवानी की सुषमा स्वराज को पार्टी प्रमुख बनाने की सलाह

नेशनल डेस्कः सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी 2012 के बाद से प्रधानमंत्री के पद की दौड़ में बने हुए हैं। आर.एस.एस. नेतृत्व ने 2009 में गडकरी को भाजपा अध्यक्ष बनाया था और एल.के. अडवानी की सुषमा स्वराज को पार्टी प्रमुख बनाने की सलाह को खारिज कर दिया था मगर दुर्भाग्यवश गडकरी को 2012 में उस समय अचानक भाजपा अध्यक्ष पद छोडऩा पड़ा जब उनकी पूर्ति ग्रुप कम्पनी को आयकर विभाग का नोटिस मिला और आयकर अधिकारियों ने नागपुर में उनके कार्यालय का दौरा किया था। ऐसी चर्चा है कि तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने कुछ प्रमुख भाजपा नेताओं की शह पर नोटिस भिजवाया था। इस पर गडकरी को इस्तीफा देना पड़ा और राजनाथ सिंह को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया। राजनाथ सिंह समझौता करने वाले नेता हैं।
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आर.एस.एस. ने महसूस किया कि अडवानी को हर हालत में रोकना जरूरी है और राजनाथ सिंह को बताया गया कि नरेन्द्र मोदी ही अब प्रधानमंत्री पद के अकेले चेहरे हो सकते हैं। यद्यपि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी तब भाजपा अध्यक्ष के एक उम्मीदवार थे मगर उन्होंने यह पद लेने से इन्कार कर दिया और राजनाथ सिंह को प्रधान बना दिया गया। वह राजनाथ सिंह ही थे, जिन्होंने पी.एम. पद के लिए मोदी के नाम का प्रस्ताव रखा और मोदी प्रधानमंत्री बन गए लेकिन गडकरी आर.एस.एस. की हमेशा ही पहली पसंद रहे हैं और अब स्थिति एक बार फिर ऐसी आ गई है कि जहां भाजपा को सभी सहयोगी दलों और अन्य के सहयोग की जरूरत है ताकि भाजपा नीत सरकार फिर से बनाई जा सके।
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वास्तव में कांग्रेस नेतृत्व ने भी भाजपा को यह संकेत दिया है कि 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद अगर गडकरी को नेता चुना जाता है तो वह अल्पमत सरकार चलाने के लिए ‘सकारात्मक समर्थन’ देगा। बीजू जनता दल, तृणमूल कांग्रेस, टी.आर.सी., एन.सी.पी., शिवसेना, टी.डी.पी. और अन्य दल भी गडकरी का समर्थन करेंगे। गडकरी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह अपनी जुबान पर नियंत्रण नहीं रख सकते और अपने मुंह से तीखी बातें करते हैं। आर.एस.एस. प्रमुख ने उनको सलाह दी है कि वह संयम रखें और जनता में चुप रहें, मगर वह स्पष्ट और सीधी बात करने के लिए मजबूर हैं। संभवत: यही उनकी ताकत है।
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राजनाथ भी पीछे नहीं
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी भाजपा में प्रधानमंत्री के पद के लिए सशक्त दावेदार समझे जाते हैं। वह आर.एस.एस. नेतृत्व के करीबी हैं और उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर भी काम किया है। वह दो बार पार्टी अध्यक्ष बने। वह बहुत शांतस्वभाव के व्यक्ति हैं। वह कभी भी सीमा से बाहर जाकर नहीं बोलते और उनकी जनता में अच्छी छवि है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनके संबंध भी अच्छे नहीं। आर.एस.एस. नेतृत्व उनको इसलिए पसंद करता है क्योंकि वह संघ के स्वयंसेवक रहे हैं। अगर मोदी-शाह कैंप की तरफ से विरोध के कारण गडकरी के नाम पर सहमति नहीं बनती तो राजनाथ सिंह स्वीकार्य उम्मीदवार हो सकते हैं। मोदी का विरोध करने वाली कई पार्टियां भी राजनाथ सिंह का समर्थन कर सकती हैं।
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प्रणव मुखर्जी भी छुपे रुस्तम हैं
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी तब से प्रधानमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को बनाए हुए हैं जब से उन्होंने आर.एस.एस. मुख्यालय का दौरा किया था। अगर भाजपा लोकसभा चुनावों में सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं प्राप्त कर पाती तो मुखर्जी इस पद के लिए कुछ पार्टियों में अपनी क्षमता के कारण सदस्यों का समर्थन प्राप्त कर सकते हैं। बीजद, टी.एम.सी. और अन्य पार्टियां भी उनको समर्थन दे सकती हैं। वह प्रधानमंत्री मोदी के भी बहुत करीब हैं जो उनसे सम्पर्क बनाए रखते हैं।

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