मुस्लिम युवक को बचाने वाले जाबांज गगनदीप अब इस बात से हैं परेशान

Edited By vasudha,Updated: 30 May, 2018 04:14 PM

gagandeep is now upset who saved the muslim youth

नैनीताल के रामनगर में एक मुस्लिम युवक को बचाने के लिए अकेले ही भीड़ से उलझने वाले सब-इसंपेक्टर गगनदीप सिंह आज एक नाय​क से कम नहीं हें। लोग उनकी बहादुरी की प्रशंसा करते नहीं थकते...

नेशनल डेस्क: नैनीताल के रामनगर में एक मुस्लिम युवक को बचाने के लिए अकेले ही भीड़ से उलझने वाले सब-इंस्पेक्टर गगनदीप सिंह आज एक नाय​क से कम नहीं हें। लोग उनकी बहादुरी की प्रशंसा करते नहीं थकते। गगनदीप सिंह एक 'सिंघम' के रूप में जनता के सामने आए ओर उनके इस कारनामे से सभी पुलिसकर्मियों को प्रेरणा लेनी चाहिए। आज इस नाय​क को लोगों के इतने अधिक फोन आ रहे हैं कि उन्हे अपना मोबाइल फोन तक बंद करना पड़ा।
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हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार गगनदीप को मालूम नहीं ​था कि वह दिन उसके लिए सबसे महत्वपुर्ण दिन बनकर रह जाएगा। जाबांज सब-इंस्पेक्टर ने बताया कि गंगा दशहरे के दिन वह ड्यूटी कर लौट रहा था तो तभी उसे शोर सुनाई दिया। उसने देखा के उग्र भीड़ ने एक मुस्लिम युवक को घेर रखा था। जब मैंने लोगों से उसे बचाया तो उसने मजबूती से मुझे पकड़ लिया और उसे उम्मीद हुई कि वह अब बच जाएगा। गगनदीप से बताया कि पहले तो मुझे समझ नहीं आया कि इतने सारे लोगों से कैसे मुकाबला करूंगा लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और उसे लड़के को भीड़ से सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
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सब-इंस्पेक्टर ने बताया कि उस दिन वह सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रहे थे। उनके अनुसार पुलिस को दबे लोगों की आवाज बनकर आगे आना चाहिए, लोगों को उनके प्रति विश्वाश पैदा होना चाहिए। गगनदीप अपनी इस बहादुरी से न केवल अपने बल्कि पूरे राज्य के नायक बन गए हैं। उन्होंने कहा कि लोग पुलिस के बारे में बहुत कुछ कहते हैं मैनें एक मुस्लिम लड़के की जान बचाकर अपना कर्तव्य निभाया है। हालांकि इस घटना के बाद उन्हे अपना फेसबुक अकाउंट बंद करना पड़ा। उन्हे समझा नहीं आ रहा है कि लोग उन्हे हीरो क्यों मान रहे हैं। 
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गगनदीप ने बताया कि जब मैं बच्चा था तो मेरी मां ने मुझे सिखाया था कि सरदार का काम है सबकी मदद करना, सरदार कभी अपने फर्ज से पीछे नहीं हटता। मेरा मकसद है कि बीना किसी शर्त से सबकी मदद करना। सब-इंस्पेक्टरने बताया कि वास्तविक जीवन में आप वह नहीं कर सकते जो सिंघम ने किया था लेकिन आप उनके कार्योे से सबक ले सकते हैं। गगनदीप ने बताया कि जब वह 2 वर्ष के थे तब उनके पिता का निधन हो गया था उनकी मां ने अकेले ही उनको पाला। बचपन से ही उनका पुलिस बनने का सपना था। जिसे पूरा करने के लिए उन्हे बहुत संघर्ष करना पड़ा ।


 

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