Exclusive Interview : फर्स्ट मूवर्स ऐडवांटेज लेने के लिए चुनी 'गेम ओवर' - तापसी पन्नू

Edited By Chandan,Updated: 14 Jun, 2019 02:43 PM

game over star taapsee pannu exclusive interview

''नाम शबाना'', ''मुल्क'', ''पिंक'', ''मनमर्जियां'' और ''बदला'' जैसे सुपरहिट फिल्में दे चुकीं तापसी पन्नू अब एक और नए कॉन्सेप्ट ''होम इनवेजन थ्रिलर'' के साथ लोगों को चौंकाने के लिए आ गई हैं। भारत में इस कॉन्सेप्ट पर पहली बार कोई फिल्म बनी है। इस...

नई दिल्ली।  'नाम शबाना' (Naam Shabana), 'मुल्क' (Mulk), 'पिंक' (Pink), 'मनमर्जियां' (Manmarziyan) और 'बदला' (Badla) जैसे सुपरहिट फिल्में दे चुकीं तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) अब एक और नए कॉन्सेप्ट 'होम इनवेजन थ्रिलर' (Home Invasion Thriller) के साथ लोगों को चौंकाने के लिए फिल्म 'गेम ओवर' (Game Over) आ गई हैं। भारत (India) में इस कॉन्सेप्ट पर पहली बार कोई फिल्म बनी है। इस फिल्म को अश्विन सारावना (Ashwin Saravanan) ने डायरेक्ट किया है। प्रमोशन के लिए दिल्ली (Delhi) पहुंचीं तापसी ने की खास बातचीत। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश...

क्रेडिट लेने के लिए चुनी ये फिल्म
मैं हिन्दी (Hindi), तमिल (Tamil) और तेलुगु (Telugu) तीनों भाषाओं में फिल्में कर चुकी हूं लेकिन इस तरह का आइडिया, ऐसी स्क्रिप्ट मैंने पहले किसी भी भाषा में कभी नहीं पढ़ी थी। इस कॉन्सेप्ट पर भारत में पहले कभी भी काम नहीं किया गया है। ये एक होम इनवेजन थ्रिलर है। इस फिल्म का स्क्रीनप्ले (Screenplay) जिस तरीके से लिखा गया है वो काफी इंटरेस्टिंग है। मुझे नहीं पता ये फिल्म लोगों को पसंद आएगी या नहीं लेकिन मुझे फर्स्ट मूवर्स ऐडवांटेज चाहिए था। मैं चाहती थी कि इसे पहली बार ट्राई करने का क्रेडिट मुझे मिले।

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काफी मुश्किल भरा रहा इस फिल्म को करना
सपना एक वीडियो प्रोग्रामर है जो हाईटेक गेम्स बनाती है जो कि एनीवर्सरी रिएक्शन से जूझ रही है। इसके साथ ही उसके साथ एक ऐसा हादसा हो जाता है और उसके पैर टूट जाते हैं जिसके कारण वो व्हीलचेयर पर आ जाती है। पहले वो एनीवर्सरी रिएक्शन के कारण दिमागी रूप से परेशान थी और अब शारीरिक रूप से भी परेशान हो गई है। ये दोनों परेशानी होने के अलावा उसके साथ होम इनवेजन होता है जब उसे कोई मारने की कोशिश कर रहा होता है और उसे अपनी जान बचानी होती है। ये देखना काफी इंटरेस्टिंग है कि आखिर वो अपनी जान कैसे बचाती है। ये कहानी जितना देखने वाले के लिए थ्रिलिंग है, करने वाले की उतनी ही जान निकल जाती है।

हॉरर ना होने के बावजूद भी डराएगी फिल्म
ये फिल्म हॉरर नहीं है लेकिन फिर भी ये आपको डराएगी। ऑडियंस को शुरू से ही पता चल जाएगा इसमें कोई भूत नहीं है लेकिन इसे शूट करने का तरीका और इसका साउंड आपको इसके हॉरर फिल्म होने का एहसास कराएगा।

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रोल प्ले करने के लिए रोज सुबह खुद को याद दिलाती थी एक बात
इस तरह के रोल प्ले करने के लिए मैं एक ही तरीका अपनाती हूं और वो है खुद को यकीन दिलाना। अगर 30-35 दिन तक रोज मुझे 12 घंटे इस किरदार को जीना है तो जरूरी है कि रोज सुबह मैं खुद को यकीन दिला दिलाऊं कि ये मेरे साथ हो रहा है। रीडिंग सेशन से इसकी शुरुआत हुई जब इस बात पर चर्चा फिल्म की को-राइटर काव्या ने मुझे बताया कि इस किरदार को किस गहराई तक ले जाना है। काव्या एक डॉक्टर हैं और इस रोल को प्ले करने में उन्होंने मेरी बहुत मदद की। काव्या ने ही मुझे बताया कि इस बीमारी से जूझ रहे लोग कैसे रिएक्ट करते हैं।

हर फिल्म के बाद मुझमें आता है कुछ न कुछ बदलाव
हम हर दो महीने के बाद कुछ और बनने की कोशिश कर रहे होते हैं और उसमें हम करीबन 50 दिनों तक जीते हैं। फिर अचानक से उससे बाहर निकलकर दूसरे किरदार का सफर शुरू करना होता है। मैं किसी भी रोल से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाती। ये कह सकती हूं कि 90 प्रतिशत मैं उसमें से खुद को निकालने में कामयाब रहती हूं। इसके लिए कई बार मैं नॉर्मल लाइफ जीने ऐसी जगह पर चली जाती हूं जहां मुझे ज्यादा कोई ना जानता हो। ये सब करने के बाद भी 10 प्रतिशत मैं ठीक नहीं हो पाती। हर फिल्म के बाद मुझमें कुछ न कुछ बदल जाता है। कई बार ये अच्छा होता है और कई बार बुरा भी। मैं मानती हूं कि ये वो फीस है जो मैं एक्टर बनने की देती हूं।

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जिंदगी में है सिर्फ एक डर
मुझे अपनी जिंदगी में सिर्फ एक चीज से डर लगता है और वो है कि मेरी फैमिली से कोई मुझे छोड़कर नहीं जाना चाहिए। मुझे पता है कि ये कभी न कभी तो होगा ही लेकिन मैं ये नहीं जानती कि उस पल मैं खुद को कैसे संभालूंगी। इसके अलावा मुझे जिंदगी में किसी भी बात से डर नहीं है, मैं हर चीज को संभाल सकती हूं।

स्क्रीन स्पेस नहीं किरदार से पड़ता है फर्क
मुझे जो भी फिल्में मिलती हैं उनमें से ज्यादातर वही चुनी जाती हैं जिसमें एक्ट्रेस का किरदार पावरफुल होता है। मुझे कम स्क्रीन स्पेस वाले रोल प्ले करने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन मैं बस इतना चाहती हूं कि एक्ट्रेस का जो कैरेक्टर लिखा जाता है वो हल्का नहीं होना चाहिए। उस कैरेक्टर में गहराई होनी चाहिए।

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करना चाहती हूं सुपर हीरो की फिल्म
इतने जॉनर ट्राई करने के बाद अब मैं 'एवेंजर्स' या फिर 'एक्स मैन' जैसी सुपर हीरो की फिल्म करना चाहती हूं। मैं एवेंजर्स की बहुत ही बड़ी फैन हूं। आपको सुनकर अजीब लगेगा कि उसका एंडगेम देखकर मैं रोने लगी थी। बॉलीवुड और साउथ में मैंने कभी ट्राई नहीं किया था, मुझे अच्छा ऑफर मिला तो मैंने तुरंत इसे कर लिया। अगर हॉलीवुड से भी कभी ऐसा कोई अच्छा ऑफर आता है तो मैं जरूर ट्राई करूंगी। हालांकि बॉलीवुड में जिस तरह के रोल मुझे मिले हैं उसके बाद मुझे कभी ये महसूस नहीं होता कि कुछ रह गया है।

हर फिल्म की रिलीज से पहले होती हूं नर्वस
मैं अपनी हर फिल्म की रिलीज से पहले काफी नर्वस हो जाती हूं। मेरा तो पूरा करियर ही शुक्रवार पर निर्भर करता है। पब्लिक के कारण ही मैं एक्ट्रेस बनी हूं। मेरे अनुसार ये नर्वसनेस होनी भी चाहिए क्योंकि अगर नहीं हुआ तो इसका मतलब होता है कि वो चीज मेरे लिए मायने नहीं रखती है। जब फिल्म हिट हो जाती है तो इतनी खुशी होती है कि मन करता है बाहर जाकर जोर से चिल्लाऊं। उस वक्त सबसे ज्यादा खुशी इस बात की होती है कि आपकी चुनी हुई कहानी को, आपकी पसंद को लोगों ने पसंद किया जो एक बहुत बड़ी एचीवमेंट है।

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