#GandhiJayanti: आखिर क्यों 2 अक्टूबर को ही याद आता है स्वच्छता अभियान

Edited By Anil dev,Updated: 01 Oct, 2019 03:52 PM

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का मानना था कि जहां साफ-सफाई होती हैं वहीं पर ईश्वर का वास होता है। उन्होंने अपने जीवन में स्वच्छता को एक अहम हिस्सा माना और लोगों को भी स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा दी। वे चाहते थे कि भारत का हर एक...

नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का मानना था कि जहां साफ-सफाई होती हैं वहीं पर ईश्वर का वास होता है। उन्होंने अपने जीवन में स्वच्छता को एक अहम हिस्सा माना और लोगों को भी स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा दी। वे चाहते थे कि भारत का हर एक नागरिक एकसाथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान दे। 

महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Mission) शुरू किया और इसके सफल कार्यान्वयन हेतु सभी लोगों को इससे जुड़ने की अपील की। उन्होंने लोगों से साफ-सफाई के सपने को साकार करने के लिए इसमें हर वर्ष 100 घंटे योगदान करने की अपील की। गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) को लेकर हर साल जनप्रतिनिधि व अधिकारी सफाई अभियान चलाते हैं। लेकिन इसके बाद ये फाइलों में बंद होकर रह जाता है।
 

क्या महात्मा गांधी आज वास्तव में ‘प्रासंगिक’ हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस अभियान की शुरुआत देश के हर कोने से की गई चाहे कोई शहर हो या कोई दूर दराज गांव हर जगह पीएम मोदी के इस स्वच्छ भारत अभियान को चलाया गया। इतना सब कुछ करने के बाद भी  आज कई गावंऐेस हैं जहां पर स्वच्छता तो दूर पीने का साफ पानी और धुंआ रहित ईंधन के बारे में सोचना भी सपने के समान है। अभी भी कई गांव ऐसे हैं जहां पर सफाई के नाम पर सिर्फ बाते ही होती हैं। पीएम मोदी की लाख कोशिशों के बाद भी गांव की सड़कों पर कूड़ा फैला रहता है क्योंकि वहां सिर्फ तभी सफाई होती हैं जब कोई नेता आता है या फिर तक जब गांव का प्रधान अपने निजी पैसे खर्च करके किसी सफाई कर्मचारी को बुलाकर सफाई करवाती है।  

 

सफाई कर्मचारी तक मौजूद नहीं
यूपी हो या बिहार हो या कोई अन्य छोटा गांव हर जगह सफाई की जरुरत है लेकिन यूपी के खरखौदा के गांव अंतराड़ा, पीपलीखेड़ा, जसौरा व गाजंव खड़खड़ी में भी सफाई कर्मचारी तक तैनात नहीं हैं। ये तो सिर्फ एक नाम है ऐसे न जाने कितने गांव होंगे जहां पर सिर्फ 2 अक्टूबर के दिन ही सफाई अभियान चलाया जाता है। यहां तक की कई ऐसे गांव है जहां पर सिर्फ 1 ही सफाई कर्मचारी तैनात है जो काफी गलत बात है। इस कारण गांवों में नालियों व रास्तों की सफाई नहीं हो पा रही है।

गांव छोड़कर बड़े अफसर के पास तैनात हैं सफाई कर्मचारी
जहां एक तरफ सफाई कर्मचारी की कमी चल रही है और 10 हजार लोगों पर मात्र एक सफाई कर्मी दिया गया है। लेकिन इन सबके बीच भी कुछ कर्मचारियों को बड़े अधिकारियों के घर तैनात किया गया हैं। वहीं कुछ कर्मी ऐसे भी हैं जो विकास खंड कार्यालय में काम करने में लगे रहते हैं। जिससे कई सारी जगह पर सफाई व्यवस्था ठप हो गई  है। ये बात किसी से नहीं छिपी है कि विकासखंड क्षेत्र में गांवों की संख्या अधिक है लेकिन सफाईकर्मी की कमी है। इसी कारण कई गांव ऐसे हैं जहां पर एक-एक सफाई कर्मी ही नहीं मिल पा रहा है।


लोगों में आया बदलाव
2 अक्टूबर, 2014 से गांधी जयंती को सफाई अभियान से जोड़ा जाता है। जबसे इस अभियान की शुरुआत हुई है तब से ही लोगों में काफी बदलाव आया है। अब लोग घरों से बाहर, सड़क पर गंदगी फैलाने और कूड़ा फेंकने से डरते हैं। अब नगर निगम अधिनियम' भी इस बात का ख्याल रखता है कि हर जगह कुड़ादान का इस्तेमाल हो।

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