Edited By Pardeep,Updated: 12 Dec, 2020 02:30 AM
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। किसान तीनों कानूनों को रद्द किए जाने पर अड़े हुए हैं। पिछले 17वें दिन से अपनी मांगों को लेकर हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले बैठे हैं। किसानों ने सरकार
नई दिल्लीः कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। किसान तीनों कानूनों को रद्द किए जाने पर अड़े हुए हैं। पिछले 17वें दिन से अपनी मांगों को लेकर हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले बैठे हैं। किसानों ने सरकार के लिखित प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया है।
बता दें किसान आंदोलन को अब दो सप्ताह से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन यह अपने मकसद से भटकने लगा है। आलम यह है कि अब इस आंदोलन में टुकड़े टुकड़े गैंग ने भी दस्तक दे दी है। गैंग के सदस्य यहां किसान-मजदूर-छात्र एकता के नाम पर शाहीन बाग और आजादी के नारे से जुड़े पोस्टर लगा रहे हैं। टिकरी बॉर्डर पर राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार शरजील इमाम, उमर खालिद समेत कई आरोपियों के पोस्टर और उनकी रिहाई की मांग की तस्वीर वायरल हो रही है। कुछ किसान नेताओं का कहना है कि इन्हें रिहा किया जाना चाहिए।
भारतीय किसान यूनियन ने झाड़ा पल्ला
हालांकि भारतीय किसान यूनियन ने इससे पल्ला झाड़ लिया है। कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में उन्हें समर्थन देने के नाम पर आए दिन नए नए संगठन पहुंच रहे हैं। जिन संगठनों का किसानों या खेतीबाड़ी से कोई सरोकार नहीं है, वे भी अपनी राजनीति चमकाने के लिए यहां धमक रहे हैं। मसलन, अतिथि शिक्षक संघ के बैनर तले भी छह लोग केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए।
ऑल इंडिया रेलवे मैन्स यूनियन, इंडियन टूरिस्ट ट्रांसपोर्टस एसोसिएशन, क्रांतिकारी युवा संगठन और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन के सदस्य भी यहां अपनी दस्तक दे चुके हैं। हद तो तब हो गई जब उस गैंग ने भी किसान आंदोलन में घुसपैठ कर ली, जो देश को ही तोड़ने की बात करता रहा है। वामपंथी विचारधारा वाला यह वही गैंग है, जिसने जेएनयू में भी 'पाकिस्तान जिंदाबाद' और 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' जैसे नारे लगाए थे। शाहीन बाग में भी इसी गैंग के लोग सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। अब वही कुत्सित प्रयास इस आंदोलन में भी शुरू हो गया है।
वहीं, इस बाबत हरियाणा भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि शाहीन बाग और आजादी जैसे मुद्दों से किसानों का कोई सरोकार नहीं है। अगर कोई संगठन हमारी मांगों का समर्थन करता है तो उसका स्वागत है अन्यथा उसके लिए यहां कोई जगह नहीं है। इस पोस्टर प्रदर्शनी के बारे में पता करके इस यहां से हटाया जाएगा।