Edited By Yaspal,Updated: 13 Dec, 2020 12:04 AM
किसान नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी ने आधीरात को अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर भूख हड़ताल करने का ऐलान किया है। उन्होंने अपने पेज पर लिखा, “19 दिसंबर तक सरकार ने ‘एमएसपी खरीद गारंटी कानून बनाओ’ और ‘किसान बिल 2020 वापिस लो’ की मांगे पूरी नहीं करती तो हम...
नेशनल डेस्कः किसान नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी ने आधीरात को अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर भूख हड़ताल करने का ऐलान किया है। उन्होंने अपने पेज पर लिखा, “19 दिसंबर तक सरकार ने ‘एमएसपी खरीद गारंटी कानून बनाओ’ और ‘किसान बिल 2020 वापिस लो’ की मांगे पूरी नहीं करती तो हम अपने साथियों के साथ आमरण अनशन पर बैठूंगा।
इससे पहले, किसान नेताओं ने रविवार को अपनी मांगों पर कायम रहते हुए कहा कि वे सरकार से वार्ता को तैयार हैं लेकिन पहले तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने पर बातचीत होगी। किसानों ने घोषणा की कि उनकी यूनियनों के प्रतिनिधि 14 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन के दौरान भूख हड़ताल पर बैठेंगे। सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता कंवलप्रीत सिंह पन्नू ने कहा कि रविवार को हजारों किसान राजस्थान के शाहजहांपुर से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग के रास्ते सुबह 11 बजे अपने ट्रैक्टरों से ‘दिल्ली चलो' मार्च शुरू करेंगे।
आंदोलन को और तेज करने की रणनीति साझा करते हुए किसान नेता ने घोषणा की कि उनकी माताएं, बहनें और बेटियां भी जल्द प्रदर्शन में शामिल होंगी। प्रदर्शन स्थलों पर उनकी सुरक्षा के इंतजाम किये जा रहे हैं। किसानों की तरफ से आंदोलन और तेज करने का ऐलान आज किया गया है किसान नेता पन्नू ने कहा कि देश के अन्य हिस्सों से भी किसान यहां आ रहे हैं और वे आने वाले दिनों में आंदोलन को अगले स्तर पर पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने के लिए अवरोधक लगा रही है, लेकिन वे किसी भी तरह प्रदर्शन में शामिल होंगे और आने वाले दिनों में इसे अगले स्तर पर ले जाएंगे।
पन्नू ने कहा, ‘‘अगर सरकार बात करना चाहती है तो हम तैयार हैं, लेकिन हमारी मुख्य मांग तीनों कानूनों को रद्द करने की रहेगी। हम उसके बाद ही अपनी अन्य मांगों पर आगे बढ़ेंगे।'' उन्होंने बताया कि किसान संगठनों के नेता नये कृषि कानूनों के खिलाफ 14 दिसंबर को सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल करेंगे। पन्नू ने आरोप लगाया कि सरकार ने आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने प्रदर्शन शांतिपूर्ण रखने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने हमें बांटकर आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास किया। मैं कहना चाहता हूं कि जारी आंदोलन पूरी तरह 32 किसान संघों के नियंत्रण में है। हम विभाजित करने के सरकार के हर प्रयास को विफल कर देंगे।''
सरकार ने शुक्रवार को प्रदर्शनकारी किसानों को आगाह किया था कि वे अपने मंच का दुरुपयोग नहीं होने दें क्योंकि कुछ ‘असामाजिक' और ‘वामपंथी तथा माओवादी' तत्व आंदोलन के माहौल को बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं। टीकरी बॉर्डर पर कुछ प्रदर्शनकारियों के हाथों में विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को छोड़ने की मांग वाले पोस्टर लिये हुए तस्वीरें सामने आने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि ये ‘असामाजिक तत्व' किसानों के भेष में शांतिपूर्ण आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं। किसानों ने इस सप्ताह की शुरुआत में 12 दिसंबर को सभी टोल प्लाजाओं को फ्री करने की तथा जयपुर-दिल्ली राजमार्ग को बंद करने की घोषणा की थी।
पन्नू ने इस बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हरियाणा में सभी टोल प्लाजा आज फ्री रहे। पंजाब में एक अक्ट्रबर से टोल प्लाजा फ्री हैं।'' कुछ किसान नेताओं ने कहा कि शनिवार को राजमार्ग को अवरुद्ध नहीं किया जा सका क्योंकि उनमें से अधिकतर राजस्थान तथा हरियाणा के सुदूर इलाकों से दिल्ली के रास्ते में थे। पन्नू ने कहा, ‘‘कई मार्गों पर पुलिस अवरोधक लगाये गये हैं इसलिए किसान दिल्ली नहीं पहुंच सके। शनिवार को राजस्थान के शाहजहांपुर के पास सभी किसान जमा हुए और कल सुबह वे राष्ट्रीय राजधानी की ओर कूच करेंगे।'' सितंबर में बनाए गए तीन कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के रूप में पेश किया है। सरकार का कहना है कि इससे बिचौलिये हट जाएंगे और किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकेंगे। हालांकि, प्रदर्शन कर रहे किसानों को आशंका है कि नये कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था और मंडियां खत्म हो जाएंगी, जिससे वे कॉरपोरेट की दया पर निर्भर रह जाएंगे।