Edited By ,Updated: 27 Oct, 2016 10:45 AM
लैंगिक समानता को लेकर रिपोर्ट सामने आई है जिसमें भारत की स्थिति सुधरी तो है लेकिन उतनी नहीं जितनी उम्मीद थी।
नई दिल्ली: लैंगिक समानता को लेकर रिपोर्ट सामने आई है जिसमें भारत की स्थिति सुधरी तो है लेकिन उतनी नहीं जितनी उम्मीद थी। दरअसल दुनियाभर में महिला-पुरुषों के बीच वेतन और शिक्षा के क्षेत्र में समानता में गिरावट दर्ज की गई। ये गिरावट आर्थिक समानता में भी देखी गई है। वर्तमान रुझानों के हिसाब से अभी भी महिलाओं और पुरुषों के बीच में कमाई को लेकर काफी अंतर है जो शायद अगले 170 सालों तक खत्म नहीं हो सकता। दूसरी ओर लैंगिक समानता के मामले में भारत पिछले साल की तुलना में 21 पायदान ऊपर चढ़ा है।
मंगलवार को जारी की गई स्विट्जरलैंड स्थित मंच की वार्षिक वैश्विक लैंगिक विषमता रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य को महिलाओं और पुरुषों के बीच सबसे चुनौतीपूर्ण असमानता के रूप में सूचित किया गया है। इस रिपोर्ट में भारत लैंगिक समानता सूचकांक में 21 पायदान ऊपर उठा है। मगर भारत अभी भी 144 देशों में निराशाजनक 87वें स्थान पर है। दूसरी ओर वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम द्वारा दी गई रैंकिंग में पाकिस्तान एक बार फिर से नीचे से दूसरे पायदान पर है। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2016 के मुताबिक, भारत ने पूरी तरह से प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा दाखिले में लैंगिक अंतर को खत्म कर दिया है।
ये देश रहे इस नंबर पर
बांग्लादेश - 72वां स्थान
श्रीलंका - 100वां स्थान
नेपाल - 110वां स्थान
मालदीव - 115वां स्थान
भूटान 121वें नंबर हैं
जबकि पाकिस्तान से नीचे की रैंकिंग पाने वाला इकलौता देश यमन है, जो इस सूची में 144वें स्थान पर है। वैश्विक स्तर पर टॉप-4 देशों में स्कैंडिनेवियाई देश शामिल हैं। आइसलैंड टॉप पर हैं, जिसके बाद फिनलैंड, नार्वे और स्वीडन का नंबर आता है। अमेरिका 45वें नंबर पर है।
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