Edited By Tanuja,Updated: 26 Apr, 2021 11:11 AM
जर्मनी कोविड-19 मामलों में वृद्धि के मद्देनजर भारत को इस स्थिति से निपटने में मदद के लिए आपातकालीन सहायता भेजने पर विचार कर रहा है...
बर्लिनः भारत में कोविड-19 मामलों में वृद्धि के मद्देनजर विकराल स्थिति को देखते हुए अब अंतर्राष्ट्रीय जगत से भारत को मदद मिलना शुरू हो गया है। अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, यूरोपीयन यूनियन, फ्रांस और जर्मनी ने भारत की मदद करनी शुरू कर दी है। इन देशों ने भारत को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स, पीपीई किट, वैक्सीन, वैक्सीन बनाने का रॉ मैटेरियल्स, वेंटिलेटर्स की सप्लाई करनी शुरू कर दी है। जर्मनी के रक्षा मंत्रालय ने रविवार को कहा कि वह भारत को एक सचल ऑक्सीजन जनरेटर और अन्य सहायता प्रदान करने की संभावना का पता लगा रहा है। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने इससे पहले भारत के लोगों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की और कहा कि जर्मनी ‘‘तात्कालिक रूप से एक सहायता अभियान तैयार है।'' जर्मनी की सेना ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान अन्य देशों या अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए अब तक 38 सहायता अभियान संचालित किए हैं।
अमेरिका भारत को वैक्सीन बनाने का कच्चा माल देने के लिए तैयार
उधर, अमेरिका भारत को वैक्सीन बनाने का कच्चा माल देने के लिए तैयार हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय प्रेशर के बाद अमेरिका के एनएसए जैक सुलीवन ने भारतीय एनएसए अजित डोवल से बात की, जिसके बाद अमेरिका ने भारत को वैक्सीन बनाने का कच्चा माल देने की इजाजत दे दी है। भारत में एक मई से 18 साल से उपर के लोगों को वैक्सीन दी जाएगी, लिहाजा भारत में काफी ज्यादा वैक्सीन की डोज चाहिए।अमेरिका अब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को वैक्सीन बनाने का रॉ-मैटेरियल भेजेगा, ताकि वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ सके। इससे पहले अमेरिका लगातार वैक्सीन बनाने के रॉ मैटेरियल देने की बात पर आनाकानी कर रहा था ।
बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेडिकल संबंधित सामानों पर डिफेंस प्रोटेक्शन एक्ट लगाते हुए उसकी सप्लाई पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे अमेरिका के नये राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी जारी रखा हुआ है। हालांकि, जब अमेरिका की पूरी दुनिया में भारी किरकिरी होने लगी तब अमेरिका ने प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया है। बाइडेन प्रशासन के शीर्ष स्वास्थ्य सलाहकार ने कहा कि अमेरिका सक्रियता के साथ भारत को मदद देने के रास्ते तलाश रहा है । डॉक्टर एंथनी फाउची ने ' कहा कि कई कदमों पर विचार किया जा रहा है, जिनमें ऑक्सीजन भेजना, कोविड-19 जांच में सहयोग देना और दवाएं तथा व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण भेजना शामिल है।
ब्रिटेन ने जीवन रक्षण मेडिकल उपकरणों की खेप भेजनी शुरू
इसके अलावा ब्रिटेन ने कोविड महामारी से लड़ाई में भारत की मदद के लिए रविवार को वेंटीलेंटर और ऑक्सीजन कंसट्रेटर समेत जीवन रक्षण मेडिकल उपकरणों की खेप भेजनी शुरू कर दी है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक बयान में कहा "सैकड़ों ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और वेंटिलेटर सहित महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण अब ब्रिटेन से भारत के रास्ते पर हैं जो इस भयानक वायरस से जिंदगी को हो रहे नुकसान को रोकने के प्रयास में सहायता करेंगे।" जॉनसन ने आगे कहा "कोविड-19 के खिलाफ इस चिंतिंत करने वाली लड़ाई में हम एक मित्र और भागीदार के रूप में भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।
EU मिलिट्री स्टाफ के साथ कर रहा सहयोग
वहीं यूरोपीयन यूनियन ने भी भारत की मदद करनी शुरू कर दी है। यूरोपीय संघ (ईयू) आपदा प्रबंधन की कमिश्नर जैनेज लेनार्किक ने ट्वीट कर लिखा "भारत से सहायता की अपील पर हमने ईयू नागरिक सुरक्षा तंत्र को एक्टिवेट कर दिया है। यूरोपीय संघ भारत के लोगों की मदद के लिए सहायता जुटाने की पूरी कोशिश करेगा। हमारा इमरजेंसी रिस्पॉन्स कोऑर्डिनेशन सेंटर (ईआरसीसी) पहले से ही ईयू मिलिट्री स्टाफ के साथ सहयोग कर रहा है जो तत्काल आवश्यक ऑक्सीजन और दवा तेजी से उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं। यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इस कठिन घड़ी में भारत के साथ एकजुटता दिखाई है।
भारत की स्थिति इस वक्त दुनिया में सबसे खराब
गौरतलब है कि कोरोना वायरस की वजह से भारत की स्थिति इस वक्त दुनिया में सबसे खराब है। भारत के अलावा ब्राजील ही एक ऐसा देश है जहां अढ़ाई हजार से ज्यादा लोगों की हर दिन मौत हो रही है। भारत में रविवार को एक दिन में करीब साढ़े तीन लाख कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आए जबकि इस जानलेवा वायरस से 2500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। ऐसे वक्त में भारत को किसी भी हाल में अंतर्राष्ट्रीय मदद की जरूरत थी। खासकर ऑक्सीजन की किल्लत खत्म करना अभी देश की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। भारत ने रूस से भी 50 मिट्रिक टन ऑक्सीजन खरीदने का फैसला किया है, ताकि ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों को रोका जा सके।