ऑफ द रिकॉर्डः भगवान ने भाजपा को दिया मौका, महाराष्ट्र में पश्चिम बंगाल के बाद ‘ऑप्रेशन लोटस’

Edited By Pardeep,Updated: 31 Mar, 2021 06:26 AM

god gives bjp a chance after west bengal in maharashtra operation lotus

महाराष्ट्र में ऑप्रेशन लोटस की भूमि तैयार हो गई है। पहले प्रयास में विफल होने के बाद भाजपा का महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाने का यह दूसरा प्रयास होगा। पिछले नवम्बर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एन. सी.पी.) के साथ सरकार बनाने की तिकड़म फुस्स हो गई...

नई दिल्लीः महाराष्ट्र में ऑप्रेशन लोटस की भूमि तैयार हो गई है। पहले प्रयास में विफल होने के बाद भाजपा का महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाने का यह दूसरा प्रयास होगा। पिछले नवम्बर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एन. सी.पी.) के साथ सरकार बनाने की तिकड़म फुस्स हो गई थी।

यहां तक कि राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के आशीर्वाद से उनके भतीजे अजीत पवार उपमुख्यमंत्री भी बन गए थे परंतु पवार के विचार बदल लेने से सब कुछ उलट-पलट गया था। तब से भाजपा महाराष्ट्र की शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी व कांग्रेस के गठबंधन से बनी महा आघाड़ी सरकार, जिसे वह अंतर्विरोधों  की  सरकार  कहती है, के धराशायी होने का इंतजार कर रही है। 

भाजपा कहती आ रही है कि यह सरकार ज्यादा लंबे समय तक नहीं चल पाएगी। जब सुशांत मामला उठा तो भाजपा ने गठबंधन में दरार डालने की पूरी कोशिश की पर कुछ खास नहीं कर सकी। उसके बाद सचिन वाजे प्रकरण सामने आया तो भाजपा ने उसमें खून सूंघ लिया। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस तुरंत दिल्ली पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को राज्य में बन रहे ताजा हालात से अवगत कराया।

फड़नवीस इस धारणा के साथ मुंबई लौटे कि भाजपा की सारी मशीनरी प. बंगाल चुनाव में व्यस्त है। तब तक उन्हें बारूद को चिंगारी लगाने से रुकना पड़ेगा। राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.) धीमी चाल से चल रही है, प्रवर्तन विभाग (ई.डी.) उड़ान भरने के इंतजार में  है  और  सी.बी.आई.  वाजे प्रकरण में भूमिका ढूंढ रही है। 

ऐसा न समझा जाए कि भाजपा भगवान की ओर से भेजा गया मौका हाथ से जाने देगी। वह 2 मई से पहले-पहले अपने शिकार को ढेर कर लेगी। इस बीच, एक अवसर ऐसा भी आया जब शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल चार्टर्ड विमान द्वारा जयपुर से अहमदाबाद अडानी के फार्महाऊस पर एक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए पहुंचे। राकांपा के ये दोनों वरिष्ठ नेता 26 मार्च को अहमदाबाद पहुंचे जबकि सूत्रों के अनुसार अमित शाह 27 मार्च को वहां पहुंचे। 

राकांपा के अनुसार भगवान की ओर से भेजा गया मौका भाजपा ने खो दिया। यह अलग बात है कि अमित शाह इस कंफ्यूजन का मजा ले रहे हैं। पवार और पटेल ने भी मुलाकात से इंकार नहीं किया है क्योंकि वे भी चाहते हैं कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे परेशान रहें। राकांपा गठबंधन से अधिक से अधिक लाभ लेना चाहती है और कांग्रेस किसी तीसरे बंदे की तरह दूर से सारा खेल देख रही है। सभी की नजरें इस बात पर हैं कि 2 मई के बाद शरद पवार क्या करेंगे। उधर, अमित शाह ने यह संदेश दिया है कि भाजपा राकांपा के साथ मिलकर एक बार फिर काम करना चाहेगी। 

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