Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Sep, 2017 12:59 PM
जयशंकर पिछले 3 वर्षों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ पूरे...
नई दिल्ली: जयशंकर पिछले 3 वर्षों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ पूरे तालमेल में सुषमा स्वराज पर हावी होते हुए पर्दे के पीछे से विदेश मंत्रालय का व्यावहारिक रूप से संचालन कर रहे हैं। मोदी द्वारा सेवारत विदेश सचिव सुजाता सिंह को अपमानित करते हुए पद से हटाने के बाद जयशंकर को जनवरी, 2015 में उनकी सेवानिवृत्ति के अंतिम दिन ही विदेश सचिव बनाया गया था।
2 वर्ष की सेवा के बाद मोदी ने जयशंकर का कार्यकाल एक वर्ष और बढ़ा दिया जो जनवरी 2018 में खत्म हो रहा है। अब फैसला किया गया है कि उनको और कार्य विस्तार न दिया जाए क्योंकि इससे आईएफएस कैडर में बगावत हो सकती है। जयशंकर भी महानायक बनना पसंद नहीं करेंगे। मोदी उनके कामकाज से बहुत प्रभावित हैं और विदेशी मामलों की उनको बहुत जानकारी है। मालूम हुआ है कि विजय गोखले इस पद के प्रबल दावेदार हैं जिनको सचिव (आर्थिक संबंध) के रूप में लाया गया था। वह 1981 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं। गोखले चीन में भारतीय राजदूत रहे हैं और उन्होंने डोकलाम संकट को हल करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। ऐसी कानाफूसी है कि मोदी के चहेते जयशंकर को एक विशेष भूमिका के साथ पीएमओ में लाया जा सकता है। अजीत डोभाल एनएसए के पद पर बने रहेंगे।