इंसान के चांद पर पहुंचने की गोल्डन जुबलीः जानें इस अंतरिक्ष यात्री ने क्यों किया अमेरिकी झंडे को सलाम

Edited By Tanuja,Updated: 20 Jul, 2019 10:39 AM

golden jublee armstrong was first touched the moon surface

इंसान द्वारा चांद पर झंडा फहराने की घटना को आज गोल्डन जुबली यानि 50 वर्ष पूरे हो गए हैं।  20 जुलाई 1969 को अपोलो लूनार मॉड्यूल...

 

वॉशिंगटनः इंसान द्वारा चांद पर झंडा फहराने की घटना को आज गोल्डन जुबली यानि 50 वर्ष पूरे हो गए हैं।  20 जुलाई 1969 को अपोलो लूनार मॉड्यूल ईगल से उतरकर नील आर्मस्‍ट्रॉन्‍ग ने चांद की धरती पर पहला कदम रखा था। इसे बीती सदी की सबसे बड़ी घटना माना गया था । इसके करीब 19 मिनट बाद जिस शख्‍स ने चांद की धरती पर दूसरा कदम रखा था उसका नाम बज एल्ड्रिन था, जबकि तीसरे अंतरिक्षयात्री माइकल कोलिंस यान में ही मौजूद थे। आर्मस्‍ट्रांग और एल्ड्रिन ने चांद की धरती पर करीब 21 घंटे और 31 मिनट बिताए थे जो हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गए।

इस ऐतिहासिक क्षण का सीधा प्रसारण दुनिया के 33 देशों में किया गया था । आगे बढ़ने से पहले एक दिलचस्‍प वाकये का जिक्र करना बेहद जरूरी हो जाता है। दरअसल, भारत में इस एतिहासिक पल को देखने के लिए तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को घंटों बैठे रहना पड़ा था। एक बार जब आर्मस्‍ट्रांग भारत आए तब इंदिरा गांधी के करीबी नटवर सिंह ने उनसे इस बात का जिक्र किया था। जब आर्मस्‍ट्रांग और इंदिरागांधी के बीच मुलाकात हुई तो आर्मस्‍ट्रॉन्‍ग ने उस लंबे इंतजार के लिए प्रधानमंत्री से माफी भी मांगी थी। एल्ड्रिन और आर्मस्‍ट्रॉन्‍ग की इस एतिहासिक यात्रा को कोई नहीं भुला सकता है। इस दौरान कई असाधारण फोटो भी क्लिक की गई थीं। इनमें से एक फोटो में अमेरिकी झंडे के आगे एक अंतरिक्षयात्री सल्‍यूट करता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके भी पीछे एक कहानी है।

दरअसल, चांद की सतह पर अमेरिकी झंडा लहराना काफी मुश्किल काम था। लेकिन एक लोहे की रॉड ने दोनों अंतरिक्षयात्रियों की समस्‍या को हल कर दिया था। उस समय कैमरा आर्मस्‍ट्रॉन्‍ग के पास था और तभी एल्ड्रिन ने अमेरिकी झंडे को सल्‍यूट किया और दूसरी तरफ खड़े आर्मस्‍ट्रॉन्‍ग ने इस पल को अपने कैमरे में कैद कर लिया। एल्ड्रिन और आर्मस्‍ट्रांग में कई सारी समानताएं थीं। दोनों ही फाइटर पायलट थे और दोनों ने ही कोरियाई युद्ध में बढ़चढ़कर हिस्‍सा लिया था। अमेरिका के न्‍यूजर्सी में पैदा हुए एल्ड्रिन को यूएस मिलिट्री अकादमी में थर्ड रैंक मिला था।

1951 में यहां से उन्‍होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्‍होंने बतौर फाइटर पायलट यूएस एयर फोर्स ज्‍वाइन की थी। कोरियाई युद्ध में उन्‍होंने अमेरिका की तरफ से करीब 66 उड़ानें भरी और दो मिग-15 को मार गिराया था। इसके बाद उन्‍होंने मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट से एस्‍ट्रॉनिक्‍स में डॉक्‍टरेट की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्‍हें नासा के एस्‍ट्रॉनॉट ग्रुप-3 के लिए चुना गया।

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