Edited By shukdev,Updated: 22 Jul, 2018 07:24 PM
केंद्र सरकार ‘भीड़ हत्या’ (मॉब लिंचिंग) को दंडनीय अपराध के तौर पर परिभाषित करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन की संभावनाओं पर विचार कर रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि एक मॉडल कानून का मसौदा तैयार...
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ‘भीड़ हत्या’ (मॉब लिंचिंग) को दंडनीय अपराध के तौर पर परिभाषित करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन की संभावनाओं पर विचार कर रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि एक मॉडल कानून का मसौदा तैयार करने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है जिसे राज्य सरकारें भीड़ हत्या की घटनाएं रोकने के लिए अपना सकें।
उन्होंने कहा, ‘सबकुछ शुरुआती चरण में है क्योंकि केंद्र को नया कानून बनाने को कहने वाले उच्चतम न्यायालय के समूचे आदेश का परीक्षण करने की आवश्यकता है।’ यदि आईपीसी में संशोधन किया जाता है तो सरकार को भीड़ हत्या पर अलग से कोई कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सोशल मीडिया से जुड़ी रूपरेखा को भी ठोस बना सकती है सरकार
अधिकारी ने कहा कि यदि खुद को निर्दोष साबित करने का जिम्मा आरोपी पर डाल दिया जाता है तो सीआरपीसी एवं भारतीय साक्ष्य कानून की कुछ धाराओं में भी संशोधन करने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर अपना रुख तय करने में कई दिन लग सकते हैं। सरकार सोशल मीडिया से जुड़ी रूपरेखा को भी ठोस बना सकती है ताकि ऐसी घटनाओं की वजह बनने वाली अफवाहों पर लगाम सुनिश्चित की जा सके।
हालिया महीनों में भीड़ द्वारा पीट - पीटकर लोगों की हत्या कर दिए जाने के कई मामले देश भर से सामने आए हैं। ताजा घटना राजस्थान में हुई जहां बीते शुक्रवार को गौ तस्करी के संदेह पर भीड़ ने एक शख्स की पीट - पीटकर हत्या कर दी। भारत में भीड़ हत्या की बढ़ती घटनाओं की ङ्क्षनदा करते हुए उच्चतम न्यायालय ने बीते मंगलवार को सरकार से कहा था कि वह ऐसे मामलों से निपटने के लिए कानून बनाए। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने भीड़ हत्या की घटनाओं को ‘भीड़तंत्र का भयावह कृत्य ’ करार दिया था।