सरकार ने मध्यस्थता कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया

Edited By Pardeep,Updated: 04 Nov, 2020 11:26 PM

government issued ordinance to amend the arbitration act

सरकार ने बुधवार को मध्यस्थता या पंचाट कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ऐसे सभी मामले जिनमें मध्यस्थता करार या अनुबंध ‘धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार'' से हुआ है, में सभी अंशधारकों को मध्यस्थता फैसले के प्रवर्तन पर बिना

नई दिल्लीः सरकार ने बुधवार को मध्यस्थता या पंचाट कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ऐसे सभी मामले जिनमें मध्यस्थता करार या अनुबंध ‘धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार' से हुआ है, में सभी अंशधारकों को मध्यस्थता फैसले के प्रवर्तन पर बिना किसी शर्त स्थगन का अवसर मिल सकेगा। 

अध्यादेश में मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 में संशोधन के जरिए कानून की 8वीं अनुसूची को समाप्त कर दिया गया है। यह प्रावधान पंचों को मान्यता से जुड़ी आवश्यक योग्यता से संबंधित है। कुछ हलकों से इन प्रावधानों की आलोचना हो रही थी। आलोचकों का कहना था कि कानून के तहत निर्धारित शर्तो की वजह से भारत को विदेशी पंचों का लाभ लेने में अड़चनें आ रही थीं। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘‘यह बात सही नहीं और इसको लेकर गलत धारणा बनाई गई है। लेकिन इस धारणा को दूर करने के लिए संबंधित प्रावधान का हटा दिया गया है।''

अब पंचों को मान्यता देने की योग्यता नियमनों के तहत तय होगी। ये नियमन प्रस्तावित मध्यस्थता परिषद द्वारा बनाए जाएंगे। अभी तक किसी मध्यस्थता फैसले के खिलाफ कानून की धारा 36 के तहत अपील दायर किए जाने के बावजूद इसे लागू किया जा सकता था। हालांकि, अदालत उपयुक्त शर्तों के साथ इस पर स्थगन दे सकती थी। अध्यादेश के जरिए विधि मंत्रालय के ताजा संशोधन के अनुसार यदि कोई फैसला धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार के जरिये हुए करार के आधार पर दिया जाता है, तो अदालत फैसले पर स्थगन के लिए कोई शर्त नहीं लगाएगी और अपील लंबित रहने तक बिना शर्त स्थगन देगी। 

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