Edited By Seema Sharma,Updated: 07 Jul, 2019 03:12 PM
कश्मीर के नौजवानों के हाथ पत्थर थमाने वालों के बच्चे विदेश में अच्छी जिदंगी बिता रहे हैं और कुछ के बच्चे वहां सेंटल होने जाने की तैयारी में हैं। कश्मीर के अलगाववादी नेता अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों को विदेश भेजने
श्रीनगर: कश्मीर के नौजवानों के हाथ पत्थर थमाने वालों के बच्चे विदेश में अच्छी जिदंगी बिता रहे हैं और कुछ के बच्चे वहां सेंटल होने जाने की तैयारी में हैं। कश्मीर के अलगाववादी नेता अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों को विदेश भेजने जाने के मामले में केंद्र सरकार की निगाहों में आ गए हैं। हाल ही में गृह मंत्रालय ने 200 ऐसे अलगाववादी नेताओं की लिस्ट जारी की थी जिनके बच्चे या तो विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं या फिर नौकरियां कर रहे हैं। यहां बता दें कि पिछले तीन साल से घाटी में कई अलगाववादी नेताओं के प्रदर्शन के चलते अब तक करीब 240 दिन स्कूल और कॉलेज बंद रहे हैं।
अलगाववादियों के प्रदर्शन के चलते बच्चों को खासी समस्याओं का सामना करना पड़ा और खुद उनके बच्चे विेदिशों में सेंटल हैं। सरकार जानकारी जुटा रही है कि इन नेताओं को अपने बच्चों को विदेश भेजने के लिए फंड कहां से मिल रहा है। आशंका जताई जा रही है कि कहीं इनमें हलाला की कोई कड़ी तो नहीं जुड़ी। ऐसा पहली बार हो रहा है जब केंद्र सरकार ने इस तरह के आंकड़े जुटाए औप पेश किए हैं जिससे अलगाववादियों के असली चेहरे सामने आए हैं।
इनके बच्चे विदेश में रचे-बसे
- दुख्तरान-ए-मिल्लत के प्रमुख आसिया अंद्राबी के दो बेटे हैं और दोनों ही विदेश में पढ़ाई कर हैं। एक मलेशिया में पढ़ाई कर रहा है तो दूसरा बेटा ऑस्ट्रेलिया में पढ़ रहा है।
- हुर्रियत नेता बिलाल लोन की एक बेटी और दामाद लंदन में बसे हैं जबकि छोटी बेटी ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रही है।
- तहरीक-ए-हुर्रियत के चेयरमैन अशरफ सहरई के दो बेटे खालिद-आबिद सऊदी अरब में काम कर रहे हैं।
- हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमेन सयैद अली शाह गिलानी के दो पोते पाकिस्तान और तुर्की में नौकरियां कर रहे हैं।
वहीं गृमंत्रालय की रिपोर्ट पर अधिकारी से नेता बने शाह फैसल ने कहा कि अपने बच्चों को विदेश भेजने और अच्छी शिक्षा दिलाने का हक सभी का है और यह अधिकार अलगाववादी नेताओं के पास भी है, इसमें गलत क्या है। एक अधिकारी ने कहा कि बच्चों को अच्छी तालीम देना कुछ गलत नहीं हैं लेकिन घाटी बंद बुलाकर अन्य बच्चों की पढ़ाई रुकवाकर उनका भविष्य खराब करना गलत है और ऐसा करने का अदिकार किसी को नहीं है।