Edited By Seema Sharma,Updated: 18 Feb, 2019 12:21 PM
जम्मू-कश्मीर में मीरवाइज उमर फारुक समेत छह अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा रविवार को वापस ले ली गई। यह फैसला पुलवामा आतंकवादी हमले के मद्देनजर लिया गया है। सरकार अब तक इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर करोड़ों खर्च करती आई है
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में मीरवाइज उमर फारुक समेत छह अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा रविवार को वापस ले ली गई। यह फैसला पुलवामा आतंकवादी हमले के मद्देनजर लिया गया है। सरकार अब तक इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर करोड़ों खर्च करती आई है और ये लोग ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहे थे। अधिकारियों ने यहां बताया कि मीरवाइज के अलावा अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी, फजल हक कुरैशी एवं शबीर शाह को दी गई सुरक्षा वापस ले ली गई है। हालांकि आदेश में पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी का जिक्र नहीं है। इन नेताओं को दी गई सुरक्षा को किसी श्रेणी में नहीं रखा गया था लेकिन राज्य सरकार ने कुछ आतंकवादी समूहों से उनके जीवन को खतरा होने के अंदेशे को देखते हुए केंद्र के साथ सलाह-मशविरा कर उन्हें खास सुरक्षा दी हुई थी।
करोड़ों रुपए खर्च कर होते थे सुरक्षा में
आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने 1990 में उमर के पिता मीरवाइज फारूक की तथा 2002 में अब्दुल गनी लोन की हत्या कर दी थी। इसके बाद से सरकार ने अलगाववादियों को सुरक्षा देना शुरू किया था। पाकिस्तान समर्थक नेता सैयद अली शाह गिलानी एवं जेकेएलएफ के प्रमुख यासिन मलिक को कोई सुरक्षा नहीं दी गई थी। सरकार इन
अलगाववादियों पर साल में करीब करोड़ों रुपए खर्च करती है। सुरक्षा से लेकर विदेशी दौरे और गाड़ियों पर करोड़ों रुपए के खर्च का भुगतान सरकार करती है। करीब 600 जवान इनकी सुरक्षा में लगे रहते हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार ने साल 2018 में आंकड़े पेश किए थे जिसके मुताबिक 2008 से लेकर 2017 तक अलगाववादियों को सुरक्षा मुहैया करवाने पर 10.88 करोड़ रुपए खर्च किए गए। जिसमें 2 करोड़ विदेशी दौरे और 50 लाख गाड़ियों पर खर्च हुए और बाकि इनकी सुरक्षा पर खर्च किया गया।
गाड़ियां भी ली गईं वापिस
सरकार ने इन नेताओं को दी गई गाड़ियां भी वापिस ले ली हैं। अधिकारियों ने बताया कि आदेश के मुताबिक अलगाववादियों को दी गई सुरक्षा एवं उपलब्ध कराए गए वाहन वापिस ले लिए गए हैं। किसी भी बहाने से उन्हें या किसी भी अलगाववादी नेता को सुरक्षा या सुरक्षाकर्मी नहीं मुहैया कराए जाएंगे। अगर सरकार ने उन्हें किसी तरह की सुविधा दी है तो वह भी भविष्य में वापस ले ली जाएगी। पुलिस इस बात की समीक्षा करेगी कि अगर किसी अन्य अलगाववाजी के पास सुरक्षा या अन्य कोई सुविधा है तो उसे तत्काल वापस ले लिया जाएगा। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को श्रीनगर दौरे पर कहा था कि पाकिस्तान एवं उसकी जासूसी एजेंसी आईएसआई से निधि प्राप्त करने वाले लोगों को दी गई सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में हुए कायराना आतंकवादी हमले के बाद सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते हुए सिंह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में कुछ ऐसे तत्व हैं जिनके संपर्क आईएसआई एवं आतंकवादी संगठनों से है। जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को हुए अब तक के सबसे बड़े आतंकवादी हमले में से एक में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। पाक स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से भरे वाहन से बल के एक वाहन को टक्कर मार दी थी।