दुश्मनों की संपत्ति बेचकर सरकार कमाएगी एक लाख करोड़, जानिए किस राज्य में है कितनी 'शत्रु संपत्ति'

Edited By vasudha,Updated: 23 Jan, 2020 11:43 AM

government will earn one lakh crores by selling the assets of enemies

सरकार ने देश में 9,400 से ज्यादा शत्रु संपत्तियों का निपटारा करने के लिए तीन उच्च स्तरीय समितियों का गठन करने का निर्णय लिया है जिनमें से एक के प्रमुख गृह मंत्री अमित शाह होंगे। इससे करीब एक लाख करोड़ रुपये का राजस्व आने की संभावना है। एक आदेश में...

बिजनेस डेस्क: सरकार ने देश में 9,400 से ज्यादा शत्रु संपत्तियों का निपटारा करने के लिए तीन उच्च स्तरीय समितियों का गठन करने का निर्णय लिया है जिनमें से एक के प्रमुख गृह मंत्री अमित शाह होंगे। इससे करीब एक लाख करोड़ रुपये का राजस्व आने की संभावना है। एक आदेश में गृह मंत्रालय ने कहा कि शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत यह फैसला लिया गया है। यह संपत्ति उन लोगों द्वारा छोड़ी गई है जिन्होंने पाकिस्तान या चीन की नागरिकता ले ली है।इस संबंध में अंतर-मंत्रालयीन समूह का गठन किया जाएगा जिसकी सह अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव और निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव करेंगे। 

 

क्या होती है शत्रु संपत्ति
बंटवारे के दौरान देश छोड़ कर गए लोगों की संपत्ति सहित, 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद भारत सरकार ने इन देशों के नागरिकों की संपत्तियों को सीज कर दिया था। इन्हीं संपत्तियों को शत्रु संपत्ति करार दिया गया है। इन संपत्तियों में भूमि, मकान, फार्म, शेयर, बैंक बैलेंस, प्रोविडेंट फंड समेत कई अचल और चल चीजें शामिल हैं। यहां पाकिस्तान के नागरिकों की 9,280 संपत्ति और चीन के नागरिकों की 126 संपत्तियां है। पाकिस्तान के नागरिकों की सबसे ज्यादा 4,991 संपत्ति उत्तर प्रदेश में है। इसके बाद 2,735 संपत्तियां पश्चिम बंगाल और इसके बाद 487 दिल्ली में है। वहीं चीनी नागरिकों द्वारा छोड़ी गई सबसे ज्यादा संपत्ति मेघालय में हैं जिनकी संख्या 57 है। इनके अलावा 29 पश्चिम बंगाल और असम में सात हैं। फिलहाल इन संपत्तियों की देखरेख की जिम्मेदारी कस्टोडियन ऑफ एनमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया के पास है।

 

2018 में जारी किए थे दिशा-निर्देश 
बता दें कि सरकार ने शत्रु संपत्ति के निपटारे के लिए वर्ष 2018 में दिशा-निर्देश जारी किये थे और गृह मंत्रालय के तहत शत्रु संपत्ति निपटारा समिति का गठन किया था। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि वैकल्पिक तंत्र में गृह मंत्री, वित्त मंत्री और सड़क एवं परिवहन मंत्री होंगे। मंत्री समूह यह तय करेगा कि किस कीमत तक की शत्रु संपत्ति की बिक्री की जानी चाहिये। उसकी सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार की अग्रिम मंजूरी से भारत में शत्रु संपत्ति के संरक्षक बिक्री या किसी अन्य माध्यम से उसकी बिक्री कर सकेंगे। मंत्रियों के समूह के अलावा एक अंतरमंत्रालयी समूह का भी गठन किया जायेगा। निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) और गृह मंत्रालय के सचिव इस समूह के सह अध्यक्ष होंगे। इनके अलावा गृह मंत्रालय, आर्थिक मामले विभाग, व्यय विभाग, लोक उपक्रम विभाग, विधि मामलों के विभाग, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, दीपम तथा गृह मंत्रालय के वित्तीय सलाहकार और शत्रु संपत्ति के भारत के संरक्षक भी शामिल होंगे।

 

केंद्र सरकार के खाते में जमा होगी राशि 
शत्रु सपंत्ति के संरक्षक राज्य सरकार तथा अन्य हितधारकों के साथ विचार-विमर्श कर निपटारे के लिए शत्रु संपत्ति का चयन करेंगे। वह यह भी प्रमाणित करेंगे कि उक्त संपत्ति के निपटारे में किसी अदालत या न्यायाधिकरण के फैसले का उल्लंघन नहीं होगा और उस पर अभी किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं है। संरक्षक के प्रस्ताव का अंतरमंत्रालयी समूह द्वारा अध्ययन किया जायेगा। अंतरमंत्रालयी समूह मंत्रियों के समूह के पास प्रस्ताव की सिफारिश करेगा। शत्रु संपत्ति की बिक्री से प्राप्त धनराशि केंद्र सरकार के खाते में जमा करायी जायेगी। संरक्षक बिक्री, उससे प्राप्त राजस्व और उसे जमा कराने के बारे में केंद्र सरकार को विभिन्न चरणों में पूरी रिपोटर् देते रहेंगे। मंत्रियों के समूह के स्थान पर परिसंपत्ति मौद्रिकरण पर सचिवों के कोर समूह का भी गठन करने का विकल्प दिया गया है। कैबिनेट सचिव इसके अध्यक्ष होंगे। आर्थिक मामले विभाग, राजस्व विभाग, लोक उपक्रम विभाग कॉर्पोरेट मामले मंत्रालय, विधि मामले विभाग, शहरी विकास, गृह मंत्रालय और दीपम के सचिव भी इसके सदस्य होंगे। 

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