जम्मू-कश्मीर में भाजपा के सरकार से नाता तोड़ने तथा राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद वहां राज्यपाल शासन लागू हो गया है।
नई दिल्ली: मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफा देने के बाद जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है। बीते एक दशक में यह चौथी बार है जब राज्य में राज्यपाल शासन लगा है। कल भाजपा ने अपनी गठबंधन सहयोगी पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया था।

गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर में तत्काल प्रभाव से राज्यपाल शासन लगाने की मंजूरी दे दी है।’’ जम्मू-कश्मीर में कल रातभर राजनीतिक घटनाक्रम जारी रहा। जब राज्यपाल एनएन वोहरा ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति भवन को भेजी उस वक्त राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद विमान में थे। राज्यपाल की रिपोर्ट का ब्यौरा तुरंत ही सूरीनाम भेजा गया जहां राष्ट्रपति अपने पहले दौरे पर जा रहे थे और उनका विमान भारतीय समयानुसार तड़के तीन बजे वहां उतरना था।

राज भवन के एक प्रवक्ता ने कल रात श्रीनगर में बताया, ‘‘सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श करने के बाद राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेज दी है जिसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत राज्यपाल शासन लागू करने की सिफारिश की है।’’ राष्ट्रपति ने रिपोर्ट को देखने के बाद अपनी मंजूरी दे दी और इस बाबत सुबह छह बजे केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचित किया गया। इसके बाद राज्यपाल शासन लगाने की प्रक्रिया तैयार की गई और इसे श्रीनगर भेजा गया।

- बीते चार दशक में यह आठवीं बार है जब राज्य में राज्यपाल शासन लगाया गया है।
- वर्ष 2008 से वोहरा के कार्यकाल में चौथी बार राज्य में राज्यपाल शासन लागू किया गया है।
- भाजपा ने कल दोपहर अचानक ही राज्य में पीडीपी के साथ तीन साल पुराने सत्तारूढ़ गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया था और यहां राज्यपाल शासन लगाने की मांग की थी।
- भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने घोषणा की थी कि पार्टी गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले रही है।
- गठबंधन में कटु राजनीतिक कलह और बदतर होती सुरक्षा स्थितियों की वजह से दरारें पडऩे लगी थी।
- माधव ने कल कहा था, ‘‘ जम्मू-कश्मीर की गठबंधन सरकार में बने रहना भाजपा के लिए मुश्किल हो गया है।’’

वोहरा के कार्यकाल में राज्य में पहली बार राज्यपाल शासन वर्ष 2008 में 174 दिन के लिए लगाया गया था जब गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में कांग्रेस और पीडीपी की गठबंधन सरकार से पीडीपी ने अमरनाथ भूमि विवाद के चलते समर्थन वापस ले लिया था। उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही राज्यपाल शासन पांच जनवरी 2009 को समाप्त हुआ था।
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