Edited By shukdev,Updated: 21 Oct, 2018 07:01 PM
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य में जल्द विधानसभा के चुनाव कराने का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि जून में भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार गिरने के बाद मौजूदा सदन में से लोकप्रिय सरकार का गठन किया जा सकता है। भाजपा के गठबंधन...
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य में जल्द विधानसभा के चुनाव कराने का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि जून में भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार गिरने के बाद मौजूदा सदन में से लोकप्रिय सरकार का गठन किया जा सकता है। भाजपा के गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के जून में मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा दिए जाने के बाद से राज्य में राज्यपाल शासन लागू है।
नई सरकार बनाने के लिए पर्दे के पीछे प्रयास किए जाने के बारे में अफवाहें थी। राज्य की 87 सदस्यीय विधानसभा में किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं है। पीडीपी के 28 विधायक, भाजपा के 25 और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के 15 विधायक हैं। मलिक ने ऐसी अटकलों को विराम देते हुए कहा कि वह किसी भी धांधली का हिस्सा नहीं होंगे। उनसे जब पूछा गया कि क्या मौजूदा सदन में से किसी लोकप्रिय सरकार का गठन हो सकता है, तो उन्होंने कहा,‘मुझे ऐसा नहीं लगता। कम से कम, मैं किसी भी ‘धांधली’ का हिस्सा नहीं बनूंगा। मुझे प्रधानमंत्री या किसी अन्य केंद्रीय नेता द्वारा ऐसा कोई संकेत नहीं दिया गया है।’
विधानसभा के ताजा चुनाव कराए जाने के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मलिक ने कहा कि उनकी इच्छा है कि चुनाव जल्द से जल्द होने चाहिए। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल दिसम्बर 2020 में समाप्त होना है। उन्होंने कहा, ‘निर्णय केन्द्र और चुनाव आयोग द्वारा लिया जाएगा। मेरा काम दोहरी जिम्मेदारी (राज्यपाल और प्रशासक की) को निर्वहन करना है जिसे मैं निभाता रहूंगा। मेरी इच्छा है कि चुनाव जल्द से जल्द कराए जाए।’ संविधान के अनुच्छेद 35ए के विवादित मुद्दे पर राज्यपाल ने कहा कि उनका प्रशासन उच्चतम न्यायालय में इस मामले पर सुनवाई टाले जाने का आग्रह करेगा।
उन्होंने कहा,‘हम उच्चतम न्यायालय को सूचित करेंगे कि हम एक निर्वाचित सरकार नहीं हैं और उनसे अनुरोध करेंगे कि निर्वाचित सरकार बनने तक इस मामले की सुनवाई को टाल दिया जाए।’ उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त के अपने आदेश में निर्देश दिए थे कि मामले को अगले वर्ष जनवरी के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध किया जाए। अनुच्छेद 35ए को चुनौती दिए जाने से कश्मीर घाटी में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे और इस वजह से दो प्रमुख पाॢटयों नेकां और पीडीपी ने स्थानीय निकाय चुनाव का बहिष्कार किया था।