Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Feb, 2018 03:03 PM
शहर का पुराना हिस्सा यानि कि ओल्ड सिटी, हरी सिंह महल के आस-पास का क्षेत्र और नगरोटा का क्षेत्र हो या फिर जंगलों से सटी सडक़ें और रिहायशी इलाका, बंद हर जगह कोहराम मचाते दिखते हैं।
जम्मू: शहर का पुराना हिस्सा यानि कि ओल्ड सिटी, हरी सिंह महल के आस-पास का क्षेत्र और नगरोटा का क्षेत्र हो या फिर जंगलों से सटी सडक़ें और रिहायशी इलाका, बंद हर जगह कोहराम मचाते दिखते हैं। इन बंदरों को ब्रेड, चिप्स और कुरकुरे तथा केले डालने वाले महादानी भी मिल जाते हैं। इसका असर यह हो रहा है कि बंदरों की खान-पान की शैली बदल रही है। अब सरकार ने एक ऐसा कदम उठाने की योजना बनाई है जिससे बंदरों को वापिस जंगल लौटने में कोई परेशानी नहीं होगी।
रिपोर्ट के अनुसार सरकार का वन विभाग जल्द ही जंगली क्षेत्रों में बड़े पैमान पर फलदार पौधे लगाने का काम शुरू करेगा। ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है ताकि जंगलों को छोडक़र बंदर सडक़ों और रिहायशी इलाकों में न आएं। इन बंदरों को कई बार जंगलों में छोड़ गया है पर यह वापिस सडक़ों पर लौट आते हैं। अक्सर कई बंदर गाडिय़ों की चपेट में आकर मारे भी जाते हैं।
50 लाख पौधे लगाए जाएंगे
जम्मू में करीब 20 हजार वर्ग किलोमीटर एरिया जंगल का है। सरकार की नीति है कि यहां पर पचास लाख के करीब ऐसे पौधे लगाए जाएंगे जो फलदार हों या फिर जिनके बीज बंदर खाते हों। इनमें 40 फीसदी पौधे अरूद, जामुन, बेर , शहतूत और आम के होंगे।