पुलवामा हमले को लेकर मोदी सरकार का बड़ा एक्शन, 5 हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा ली वापस

Edited By vasudha,Updated: 17 Feb, 2019 02:59 PM

govt withdraw security cover of hurriyat leaders

पुलवामा आतंकी हमले के बाद केंद्र ने बड़ा फैसला लिया है। जम्मू कश्मीर में 5 हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली गई है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्युरिटी यानी सीसीएस की बैठक में हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापसी के...

नेशनल डेस्क: पुलवामा आतंकी हमले के बाद केंद्र ने बड़ा फैसला लिया है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सरकार ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के उदारवादी नेता मीरवाइज मौलवी उमर फारुक समेत पांच अलगाववादियों को दी गई सरकारी सुरक्षा को वापस ले लिया है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्युरिटी की बैठक में हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापसी के आदेश दिए  थे। 

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अधिकारियों के मुताबिक हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाईज मौलवी उमर फारुक, अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शब्बीर शाह को दी गई सुरक्षा एवं उपलब्ध कराए गए वाहन रविवार शाम तक वापस ले लिए जाएंगे। हालांकि इस आदेश में पाकिस्तान परस्त और अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का नाम नहीं है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पाकिस्तान और आईएसआई से आर्थिक मदद लेने वालों की सरकारी सुरक्षा पर भी नए सिरे से विचार किया जाएगा। 
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बता दें कि घाटी में भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने और जहर घोलने वाले अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर सरकार सालाना करीब 10 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। एक अलगाववादी नेता पर 20 से लेकर 25 सुरक्षाकर्मी दिन रात अलर्ट रहते हैं। 1 अप्रैल, 2015 को राज्य सरकार ने विधानसभा में अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया कि सरकार ने कश्मीर के अलगाववादी नेताओं समेत प्रदेश के कुल 1,472 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा में 506.75 करोड़ रुपये खर्च कर डाले।  हुर्रियत नेता बट्‌ट की सुरक्षा पर एक दशक में करीब ढाई करोड़ खर्च हुए हैं जबकि अब्बास अंसारी पर 3 करोड़ रुपए। 

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विधानसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक श्रीनगर में सबसे ज्यादा 804 राजनीतिक कार्यकर्ता हैं जबकि जम्मू क्षेत्र में 637 और लद्दाख क्षेत्र में 31 नेता शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, 440 राजनीतिक कार्यकर्ताओं में 294 अनारक्षित राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल हैं जिन्हें होटल की सुविधा भी मुहैया कराई गई। बता दें कि पुलवामा में 40 जवानों की शहादत के बाद पूरे देश में इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने की मांग उठी थी। 

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