विवादों के बीच सरकार ने स्कूलों कालेजों में धार्मिक ग्रंथों को पढ़ाने का निर्णय लिया वापिस

Edited By Monika Jamwal,Updated: 23 Oct, 2018 03:31 PM

govt withdrawn the decision of religious educations in schools

जम्मू कश्मीर के स्कूलों में भागवत गीता और रामायण पढ़ाने के अपने निर्णय को सरकार ने वापिस ले लिया है। इस मामले में सरकार विवादों में घिर गई थी जिसके चलते फैसला वापिस लेना पड़ा।

जम्मू : जम्मू कश्मीर के स्कूलों में भागवत गीता और रामायण पढ़ाने के अपने निर्णय को सरकार ने वापिस ले लिया है। इस मामले में सरकार विवादों में घिर गई थी जिसके चलते फैसला वापिस लेना पड़ा। जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव बी वी आर सुब्रमण्यम ने इस संदर्भ में निर्देश देते हुये नोटिफिकेशन जारी किया। नैशनल कान्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ टवीट् किया था। उन्होंने कहा कि यह एक सेलेक्ब्वि मूव है।  उन्होंने लिखा था कि सिर्फ गीता और रामायण ही क्यों? अगर सरकार धार्मिक गं्रथों को स्कूलों, कालेजों और लाइब्रेरियों में शुरू कर रही है तो बाकी के ग्रंथ क्यों नहीं। सेलेक्टिव मूव क्यों।

गौरतलब है कि सरकार ने स्कूलों और कालेजों एवं पुस्तकालयों में गीता और रामायण की उचित मात्रा में उर्दू अनुवादित प्रतियों को रखने के निर्देश जारी किये थे। इसमें कोशुर रामायाण भी शामिल थी जोकि स्वामी सर्वानंद प्रेमी द्वारा रचित है। यह निर्णय 4 अक्तूबर को गवर्नर सत्यपॉल मलिक की अध्यक्षता में आयोजित की गइर्ग बैठक में लिया गया था। सरकार ने फौरी तौर पर अब निर्देश वापिस ले लिया है।  
 

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