Edited By Anu Malhotra,Updated: 10 Sep, 2024 04:58 PM
जीएसटी काउंसिल की बैठक सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा 2,000 रुपये तक के छोटे ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस पर 18% जीएसटी लगाने की संभावनाओं पर थी। विशेष रूप से, बिलडेस्क और सीसीएवेन्यू जैसे भुगतान...
नेशनल डेस्क: जीएसटी काउंसिल की बैठक सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा 2,000 रुपये तक के छोटे ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस पर 18% जीएसटी लगाने की संभावनाओं पर थी। विशेष रूप से, बिलडेस्क और सीसीएवेन्यू जैसे भुगतान एग्रीगेटर्स पर इस टैक्स के लागू होने को लेकर लोगों की निगाहें टिकी हुई थीं। हालांकि, इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया और इसे फिटमेंट कमेटी के पास भेज दिया गया है।
फिटमेंट कमेटी का निर्णय अपेक्षित
जानकारी के लिए बता दें कि सोमवार को GST काउंसिल की 54वीं बैठक आयोजित की गई, जिसमें 2,000 रुपये तक के कार्ड भुगतान पर 18% जीएसटी वसूलने के मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शाम पांच बजे इस पर प्रेस वार्ता करेंगी।
उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि इस प्रस्ताव पर सोमवार को कोई फैसला नहीं हो सका और इसे फिटमेंट कमेटी के पास भेज दिया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि डेबिट या क्रेडिट कार्ड से किए गए 2,000 रुपये तक के भुगतानों पर 18% जीएसटी वसूलने की योजना है, जो कि पेमेंट गेटवे को दिया जाने वाला शुल्क होगा।
छोटे ट्रांजैक्शंस और GST का असर
भारत में डिजिटल पेमेंट्स का लगभग 80% हिस्सा 2,000 रुपये से कम के ट्रांजैक्शंस पर आधारित है। 2016 में नोटबंदी के दौरान, सरकार ने पेमेंट एग्रीगेटर्स को इन छोटे लेनदेन पर टैक्स लगाने से रोक दिया था। अगर छोटे पेमेंट्स पर GST लागू होता है, तो पेमेंट एग्रीगेटर्स इस अतिरिक्त लागत को व्यापारियों पर डाल सकते हैं। फिटमेंट कमेटी के निर्णय से यूपीआई के माध्यम से भुगतान करने वालों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह केवल डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, और नेट बैंकिंग द्वारा किए गए पेमेंट्स पर लागू होगा।