ऑफ द रिकॉर्डः लंगर पर GST रिफंड बना सिरदर्द

Edited By Seema Sharma,Updated: 05 Jul, 2018 10:10 AM

gst refund headache on langar

सैंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरैक्ट टैक्स एंड कस्टम्स (सी.बी.आई.सी.) धार्मिक संगठनों द्वारा खरीदी गई खाद्य वस्तुओं पर सैंट्रल जी.एस.टी. (जी.एस.टी.) और एकीकृत जी.एस.टी. (आई.जी.ए.सी.टी.) रिफंड करने के लिए एक तंत्र बनाने हेतु सांस्कृतिक मंत्रालय के अनुरोध को...

नेशनल डेस्कः सैंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरैक्ट टैक्स एंड कस्टम्स (सी.बी.आई.सी.) धार्मिक संगठनों द्वारा खरीदी गई खाद्य वस्तुओं पर सैंट्रल जी.एस.टी. (जी.एस.टी.) और एकीकृत जी.एस.टी. (आई.जी.ए.सी.टी.) रिफंड करने के लिए एक तंत्र बनाने हेतु सांस्कृतिक मंत्रालय के अनुरोध को लेकर दुविधा में है। धार्मिक संगठन जैसे गुरुद्वारा इत्यादि श्रद्धालुओं को मुफ्त भोजन उपलब्ध करवाते हैं। जी.एस.टी. का मामला सी.बी.आई.सी. निपटाती है और यह उसके लिए एक बड़ी सिरदर्दी बन गई है। अभी तक इस संबंध में कोई नियम नहीं बनाए गए। सांस्कृतिक और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने एक तंत्र बनाने के लिए पिछले सप्ताह बैठक की थी।
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केंद्र सरकार ने सांस्कृतिक मंत्रालय के तहत एक नई योजना ‘सेवा भव योजना’ शुरू की है और इसके लिए 350 करोड़ की धनराशि रखी है। गुरुद्वारे और अन्य चैरीटेबल संस्थाएं सोचती हैं कि उन्हें जी.एस.टी. से मुक्त रखा जाएगा मगर सरकार ने उनको बता दिया है कि वे वस्तुओं की खरीद पर जी.एस.टी. और आई.जी.एस.टी. का भुगतान करेंगी और बाद में वे रिफंड का दावा कर सकती हैं जो एक बड़ी समस्या है। सांस्कृतिक मंत्रालय को भी इस मामले से निपटने में रुचि नहीं है। सी.बी.आई.सी. इस मामले को लेकर असमंजस में है क्योंकि उसके पास इसका कोई बजट नहीं। उसे सांस्कृतिक मंत्रालय से फंड प्राप्त होगा और उसके बाद ही लाभकारियों को रिफंड दिया जाएगा।
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ऐसी स्थिति के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश अभी जारी किए जाने हैं जिसमें उल्लेख किया जाएगा कि किस संगठन को रिफंड दिया जाएगा और कितना। घी, खाद्य तेल, चीनी, मोटा अनाज, चावल, आटा, मैदा और दालों पर जी.एस.टी. और आई.जी.एस.टी. रिफंड दिया जाना है। इसके तहत वही संस्थाएं पात्र होंगी जो महीने में कम से कम 5 हजार लोगों को मुफ्त खाना उपलब्ध करवाएंगी। प्राइवेट संस्थाएं जी.एस.टी. रिफंड के लिए पात्र नहीं होंगी जो स्थायी धार्मिक संस्थाओं, धार्मिक संगठनों द्वारा संचालित की जाती हैं इसलिए वे इसकी पात्र नहीं। रिफंड देने से पूर्व इन संस्थाओं के बिलों की चार्टर्ड अकाऊंटैंट द्वारा पुष्टि की जाएगी। इस संबंध में पैनल प्रावधान और जाली बिलों पर कार्रवाई करने के प्रावधान होंगे।
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जाली बिल देने वाले संगठनों को काली सूची में डाला जाएगा और उन सी.ऐज के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है जिन्होंने इसकी पुष्टि की थी। ऐसी योजना है कि यह रिफंड उन धार्मिक संस्थाओं को दिया जाएगा जो सोसायटी एक्ट या इसके समान एक्ट के तहत पंजीकृत हैं। गुरुद्वारों, मंदिरों, धार्मिक आश्रमों, मस्जिदों, दरगाहों, चर्चों जैसी चैरीटेबल धार्मिक संस्थाओं द्वारा कम से कम सप्ताह में एक बार मुफ्त प्रसाद बांटने, लंगर या भंडारा लगाने के लिए संस्थाएं जी.एस.टी. रिफंड प्राप्त करने की पात्र हैं। सी.बी.आई.सी. और सांस्कृतिक मंत्रालय तंत्र बनाने के लिए अभी तक संघर्षरत हैं।

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