सरकार भले ही वस्तु और सेवा कर (जी.एस.टी.) व्यवस्था से टैक्स चोरी रोकने व आम आदमी पर पडऩे वाले बोझ को कम करने का दावा करती रही है, लेकिन हकीकत यह है कि 2 सालों में ही जी.एस.टी. में धांधली करने वालों ने सरकारी खजाने
नई दिल्लीः सरकार भले ही वस्तु और सेवा कर (जी.एस.टी.) व्यवस्था से टैक्स चोरी रोकने व आम आदमी पर पडऩे वाले बोझ को कम करने का दावा करती रही है, लेकिन हकीकत यह है कि 2 सालों में ही जी.एस.टी. में धांधली करने वालों ने सरकारी खजाने को लगभग 23,194 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया है। खास बात यह है कि सबसे अधिक धोखाधड़ी दिल्ली तथा महाराष्ट्र में दर्ज की गई है।
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान जालसाजों ने फर्जी बिल बनाकर 11815.97 करोड़ रुपए की जी.एस.टी. धांधली की। वित्त वर्ष 2019-20 में जनवरी तक जी.एस.टी. धोखाधड़ी के 11377.69 करोड़ रुपए के मामले पकड़े जा चुके थे। 2018-19 में फर्जी बिल बनाकर जी.एस.टी. की सबसे अधिक 3632.2 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी महाराष्ट्र में अंजाम दी गई। इसके बाद दिल्ली में 1447.78, प.बंगाल में 1092.85 तथा राजस्थान में 879.08 करोड़ रुपए की जी.एस.टी.धोखाधड़ी पकड़ी गई।
2019-20 में जनवरी महीने तक दिल्ली के जालसाजों ने जी.एस.टी. में 3957.91 करोड़ रुपए की धांधली करके अन्य सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया। इस दौरान महाराष्ट्र में 956.67 करोड़, कर्नाटक में 911.75 तथा प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री के अपने गृहराज्य गुजरात में भी 895.28 करोड़ रुपए की जी.एस.टी. धांधली पकड़ी गई। जी.एस.टी. जानकारों के अनुसार फर्जी बिल बनाकर धोखाधड़ी करने वाले इन बिलों के जरिए टैक्स चोरी को अंजाम देने के अतिरिक्त इनपुट टैक्स कै्र डिट का फायदा भी उठाते हैं। इससे सरकारी राजस्व की दोहरी मार पड़ती है।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र तथा राज्यों के कर अधिकारी राष्ट्रीय सूचना कंेद्र द्वारा तैयार ई-वे बिल पोर्टल से रियल टाइम डाटा ले सकते हैं। वहीं 30 मिनट में ही संबंधित राज्यों को ई-वे बिल का डाटा सांझा करना शुरू कर दिया है। ई-वे बिल डाटा और इन्वॉइस का ब्यौरा सुलभ होने से जी.एस.टी. की धोखाधड़ी वाले मामलों तथा अनियमितताओं का रिटर्न भरे जाने से बहुत ही पहले पता लगाया जा सकता है।
जी.एस.टी. धोखाधड़ी के प्रमुख मामले
राज्य 2019-20 (जनवरी तक) 2018-19
|
मामले |
रकम* |
मामले |
रकम* |
दिल्ली |
1139 |
3957.91 |
603 |
1447.78 |
महाराष्ट्र |
176 |
956.67 |
127 |
3632.20 |
कर्नाटक |
108 |
911.75 |
13 |
584.39 |
गुजरात |
299 |
895.28 |
113 |
523.85 |
प. बंगाल |
263 |
747.33 |
78 |
1092.85 |
तमिलनाड |
380 |
689.78 |
57 |
605.52 |
हरियाणा |
479 |
659.37 |
162 |
678.82 |
कुल |
3866 |
11377.69 |
1620 |
11815.97 |
|
|
|
|
*रकम करोड़ रुपए में |
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