Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Aug, 2017 11:25 AM
2 हफ्ते पहले गुजरात में भीषण बाढ़ आई। भारी तबाही मची। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते मंगलवार और उसके बाद कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात में बाढ़ से प्रभावित हिस्सों का जायजा लिया।
नई दिल्ली: 2 हफ्ते पहले गुजरात में भीषण बाढ़ आई। भारी तबाही मची। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते मंगलवार और उसके बाद कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात में बाढ़ से प्रभावित हिस्सों का जायजा लिया। सियासी माहिरों के अनुसार यह दौरे लोगों का दुख-दर्द बांटने के साथ-साथ अगले पांच महीने में गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों का गणित समझने के लिए भी काफी अहम थे। सियासी माहिरों के अनुसार गुजरात के साथ-साथ राजस्थान में भी बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। गुजरात के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 500 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज की घोषणा की है मगर दूसरी तरफ राजस्थान के लिए अभी किसी तरह के पैकेज की घोषणा नहीं हुई है। इस पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी आपत्ति जताई है।
राज्यसभा चुनाव से विधानसभा चुनावों की दिशा तय
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के लिए 8 अगस्त का दिन काफी प्रतिष्ठापूर्ण रहा। इस दिन पश्चिम बंगाल की 6, मध्य प्रदेश की 1 और गुजरात की 3 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हुआ। सियासी माहिर इन राज्यसभा के चुनाव परिणामों को अगले 5 महीनों में गुजरात विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव के साथ जोड़कर देखकर रहे हैं। उनके अनुसार इन चुनावों से राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों की काफी हद तक रूप-रेखा तय हो जाएगी। मंगलवार को गुजरात के विधायकों ने राज्ससभा की 3 सीटों के लिए मतदान किया जिनमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल के भविष्य का फैसला होगा। शाह और स्मृति ईरानी की जीत लगभग तय मानी जा रही है, मगर पटेल को हाल ही में भाजपा में शामिल हुए बलवंत सिंह राजपूत से कड़ी चुनौती मिल सकती है।
राज्य विधानसभा चुनाव और भाजपा के आगे पेचीदगियां
भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव की लड़ाई में 3 मुख्य पेचीदगियां सामने आ सकती हैं। भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण अडवानी को गुजरात का महापुरुष बताया जाता है। उनके अनुसार पार्टी को राज्य में 6वीं बार सत्ता हासिल करने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ सकता है। 1990 में गठबंधन सरकार बनी थी जिसमें भाजपा ने जनता दल के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। यदि जनता दल को साथ मिला लिया जाए तो यह 7वीं बार सत्ता हासिल होगी।
18 अगस्त को खत्म हो रहा 3 राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल
गुजरात से राज्यसभा के कुल 11 सदस्यों में से स्मृति ईरानी और दिलीपभाई पांडे तथा कांग्रेस के अहमद पटेल का कार्यकाल 18 अगस्त को खत्म हो रहा है। कांग्रेस ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीति सचिव अहमद पटेल को दोबारा अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा से राज्यसभा जाने की दौड़ में अमित शाह और स्मृति ईरानी भी हैं।गुजरात से राज्यसभा की 3 सीटों के लिए चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी रही। इन 3 सीटों पर 4 उम्मीदवार खड़े हैं। भाजपा की ओर से अमित शाह और स्मृति ईरानी की जीत पक्की मानी जा रही है। लड़ाई तीसरी सीट को लेकर है जिस पर कांग्रेस नेता और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल उम्मीदवार हैं। कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के कारण अहमद पटेल की सीट फंसती हुई दिख रही थी।
पंचायत चुनाव और भाजपा का गणित
नवसारी सांसद और अमित शाह के सहयोगी सी.आर. पाटिल ने दावा किया कि दिसम्बर 2015 के पंचायत चुनावों में पटेलों ने काफी हद तक कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया और यह यह वोट ठकोर और अहिर जैसी जातियों के पक्ष में थे। उन्होंने कहा कि भाजपा विरोधी का अर्थ यह नहीं कि यह कांग्रेस पक्षीय है। वहीं जामनगर की एक अहिर सांसद पूनम मदाम ने कहा कि एक व्यक्ति शक्तिशाली हो जाता है। हम हर ग्रुप को संतुलित करना चाहते हैं। भरत पांड्या महसूस करते हैं कि हाॢदक पटेल पिछले साल अपना आधार खो चुके हैं, अब रैलियां नहीं कर रहे हैं। सौराष्ट्र के अमरेली से पटेल और केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि हार्दिक की पटेल नेताओं को लुभाने की प्रक्रिया और भाजपा से अलग करने की कुछ सीमाएं हैं, वह कोई नेता नहीं हैं। भाजपा सूत्रों ने स्वीकार किया कि पंचायत चुनाव में हारने के बाद अमित शाह ने सरकार के काम पर निगरानी की और गांवों को मजबूती से निशाना बनाने की कोशिश की।
वाघेला के लिए शक्ति प्रदर्शन का समय
प्रदेश भाजपा के महासचिव और प्रवक्ता भरत पंड्या ने कहा कि यह राज्यसभा चुनाव शंकर सिंह वाघेला के लिए शक्ति प्रदर्शन का समय था। वाघेला पिछले महीने तक गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। वह कभी राज्य में नरेन्द्र मोदी और केशु भाई पटेल के साथ त्रिमूॢत के रूप में भी जाने जाते थे। मगर बाद में वह अलग हो गए। पहले उन्होंने अकेले चलने की नीति बनाई और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। वाघेला का विधानसभा क्षेत्र कपाड़वंज मध्य गुजरात में है। उनका ठकोर जाति में काफी दबदबा है क्योंकि इसमें पटेल भी आते हैं। इनका विस्तार उत्तरी गुजरात तक है। पिछले चुनाव में भाजपा को नुक्सान उठाना पड़ा था। 2012 में भाजपा ने इस क्षेत्र की 27 सीटों में से 13 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस ने अपनी संख्या बढ़ाकर 6 से 14 कर ली थी। वाघेला के कांग्रेस से बाहर होने के बाद भाजपा की यह परिकल्पना है कि कांग्रेस उत्तरी जिलों में लगभग हर सीट हार सकती है। राज्यसभा के चुनाव से यह भी स्पष्ट संदेश जाएगा है कि वाघेला की कांग्रेस में अपने समर्थक विधायकों की वफादारी पर अब कितनी पकड़ है। अगर वाघेला सफल हो जाते हैं और अपने चहेतों के जरिए पटेल को हरा देते हैं तो भाजपा का मानना है कि इससे वाघेला तीसरा मोर्चा बनाने में सफल हो सकते हैं।
गुजरात विधानसभा चुनाव 1995
कुल सीटें 182 1995 में भाजपा पहली बार सत्ता में आई। यह चुनाव केशुभाई पटेल, शंकर सिंह वाघेला के नेतृत्व में लड़े गए। इस चुनाव में किसे कितनी सीटें मिलीं।
पार्टी |
सीटें |
वोट प्रतिशत |
भाजपा |
121 |
42.51 |
कांग्रेस |
45 |
32.9 |
गुजरात विधानसभा चुनाव 1998
भाजपा ने यह चुनाव केशभाई पटेल के नेतृत्व में लड़ा किसे कितनी सीटें मिलीं।
पार्टी |
सीटें |
वोट प्रतिशत |
भाजपा |
117 |
44.81 |
कांग्रेस |
53 |
35.28 |
गुजरात विधानसभा चुनाव 2002
भाजपा ने यह चुनाव नरेंद्रमोदी के नेतृत्व में लड़ा किसे कितनी सीटें मिलीं।
पार्टी |
सीटें |
वोट प्रतिशत |
भाजपा |
127 |
49.85 |
कांग्रेस |
51 |
39.59 |
गुजरात विधानसभा चुनाव 2007
भाजपा ने यह चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा किसे कितनी सीटें मिलीं।
पार्टी |
सीटें |
वोट प्रतिशत |
भाजपा |
117 |
49.12 |
कांग्रेस |
59 |
39.63 |
गुजरात विधानसभा चुनाव 2012
भाजपा ने यह चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा किसे कितनी सीटें मिलीं।
पार्टी |
सीटें |
वोट प्रतिशत |
भाजपा |
115 |
48.30 |
कांग्रेस |
61 |
40.59 |