Edited By Yaspal,Updated: 30 Jul, 2022 04:56 PM
अहमदाबाद में एक सत्र अदालत ने शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर. बी. श्रीकुमार को जमानत देने से इनकार कर दिया
नेशनल डेस्कः अहमदाबाद में एक सत्र अदालत ने शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर. बी. श्रीकुमार को जमानत देने से इनकार कर दिया। इन दोनों को 2002 के दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने के लिए गिरफ्तार किया गया है।
अतिरिक्त प्रमुख न्यायाधीश डी. डी. ठक्कर ने कहा कि दोनों आदेश खारिज किए जाते हैं। दोनों को अहमदाबाद शहर की अपराध शाखा ने भारतीय दंड संहिता की धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 194 (दोषी साबित करने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना) के तहत गिरफ्तार किया था।
मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपने हलफनामे में आरोप लगाया है कि वे गुजरात में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को अस्थिर करने के लिए कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल के इशारे पर की गई एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे।
इसमें आरोप लगाया गया है कि 2002 की गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के तुरंत बाद पटेल के कहने पर सीतलवाड़ को 30 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। एसआईटी ने दावा किया कि श्रीकुमार एक ‘‘असंतुष्ट सरकारी अधिकारी' थे, जिन्होंने ‘‘पूरे गुजरात राज्य के निर्वाचित प्रतिनिधियों, नौकरशाही और पुलिस प्रशासन को गुप्त उद्देश्यों के लिए बदनाम करने के वास्ते प्रक्रिया का दुरुपयोग किया।''