Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Oct, 2017 03:22 PM
विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख प्रवीण तोगडिय़ा ने आज कहा कि गोधरा ट्रेन कांड में दोषियों की मौत की...
नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख प्रवीण तोगडिय़ा ने आज कहा कि गोधरा ट्रेन कांड में दोषियों की मौत की सजा को बदलकर उम्र कैद में बदले जाने के गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को गुजरात सरकार को शीर्ष अदालत में चुनौती देनी चाहिए। वर्ष 2002 के इस मामले में दोषियों को मौत की सजा देने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को भगवान राम के भक्तों को न्याय दिलाने के लिए दीवाली से पहले उच्चतम न्यायालय में अपील करनी चाहिए।
हिंदुओं को नहीं मिला न्याय
तोगडिय़ा ने कहा कि उन जिहादियों को फांसी पर क्यों नहीं लटकाया जाना चाहिए जिन्होंने एक साजिश के तहत गोधरा में हिंदुओं को जलाया था। यह उनकी शहादत का अपमान है। उन्होंने साथ ही कहा कि हिंदुओं को मूल न्याय भी नहीं मिल रहा है। गुजरात उच्च न्यायालय ने गोधरा ट्रेन नरसंहार मामले में आज 11 दोषियों की सजा-ए-मौत को उम्रकैद में बदल दिया जबकि 20 अन्य दोषियों को सुनायी गयी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार और रेलवे दोनों कानून-व्यवस्था बनाए रखने में असफल रहे हैं और दोनों पीड़ित परिवारों को मुआवजा देंगे।
गुजरात उच्च न्यायालय ने आज सुनाया फैसला
गोधरा स्टेशन के करीब 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के शयनयान एस-6 को जला दिया गया था। इस घटना में 59 लोग मारे गऐ थे। मरने वालों में ज्यादातर कारसेवक थे जो उत्तर प्रदेश में अयोध्या से लौट रहे थे। इस घटना के कारण गुजरात में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गये जिनमें करीब 1200 लोग मारे गये। मरने वालों में ज्यादातर मुसलमान थे। न्यायमूर्ति अनंत एस. दवे और न्यायमूर्ति जी. आर. उधवानी की खंडपीठ ने आज के फैसले में कहा कि वह निचली अदालत द्वारा 11 लोगों को दोषी ठहराये जाने के फैसले को बरकरार रखती है लेकिन उन्हें सुनायी गई मौत की सजा को ‘‘सश्रम उम्रकैद’’ में बदल रही है।