Edited By Anil dev,Updated: 30 Jan, 2020 04:53 PM
गुजरात सरकार ने राज्य के शहरी क्षेत्रों में दोपहिया वाहन चलाने वाले लोगों के लिए हेल्मेट पहनने को स्वैच्छिक करने के अपने पूर्व के फैसले पर एक तरह से यू-टर्न लेते हुए आज यहां उच्च न्यायालय में दायर हलफनामे में कहा कि उसने ऐसा करने के लिए कोई सरकारी...
अहमदाबाद: गुजरात सरकार ने राज्य के शहरी क्षेत्रों में दोपहिया वाहन चलाने वाले लोगों के लिए हेल्मेट पहनने को स्वैच्छिक करने के अपने पूर्व के फैसले पर एक तरह से यू-टर्न लेते हुए आज यहां उच्च न्यायालय में दायर हलफनामे में कहा कि उसने ऐसा करने के लिए कोई सरकारी आदेश अथवा परिपत्र जारी नहीं किया है। इससे पहले राज्य के परिवहन मंत्री आर सी फलदू ने गत चार दिसंबर को कहा था कि राज्य मंत्रिमंडल ने हेल्मेट को शहरी क्षेत्रों के लिए अनिवार्य की जगह स्वैच्छिक बनाने का फैसला लिया है।
सरकार ने लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया है। इसके बाद उच्चतम न्यायालय की सड़क सुरक्षा संबंधी समिति की फटकार लगने पर उन्होंने बाद में कहा कि हेल्मेट को स्वैच्छिक करने का फैसला अस्थायी है। बाद में सूरत निवासी संजीव भार्गव ने यहां उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर हेल्मेट की अनिवार्यता समाप्त करने को संशोधित मोटर वाहन अधिनियम का खुला उल्लंघन बताते हुए इसे चुनौती दी थी। सरकार ने इस पर सुनवाई के दौरान 27 जनवरी को मौखिक तौर पर अदालत में दलील दी थी कि इसने हेल्मेट की अनिवार्यता समाप्त करने और इसे स्वैच्छिक बनाने के लिए कोई आदेश या परिपत्र जारी नहीं किया था। उसने तो चालक के साथ ही पीछे बैठने वालों के लिए भी हेल्मेट अनिवार्य बनाने के लिए राज्य में नियम बनाया था।
अदालत ने 30 जनवरी तक यानी आज तक सरकार को इस मामले में शपथपत्र अथवा हलफनामा दायर करने को कहा था। मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथा और न्यायमूर्ति ए जे शास्त्री की अदालत के समक्ष राज्य सरकार ने अब पांच पन्ने का हलफानामा दायर कर उन बातों को ही दोहराया है।