Edited By Anil dev,Updated: 17 Dec, 2018 11:41 AM
साल 2002 के गुजरात दंगों पर एक नई किताब आई है, जिसमें हिंसा को कथित तौर पर अंजाम देने वाले लोगों से बात करके उनकी कहानी बयान की गई है। लेखिका रेवती लाल का कहना है कि किसी भीड़ की कहानी बताने की कोशिश करना एक तरह से मूर्खता लग रही थी।
नई दिल्ली: साल 2002 के गुजरात दंगों पर एक नई किताब आई है, जिसमें हिंसा को कथित तौर पर अंजाम देने वाले लोगों से बात करके उनकी कहानी बयान की गई है। लेखिका रेवती लाल का कहना है कि किसी भीड़ की कहानी बताने की कोशिश करना एक तरह से मूर्खता लग रही थी।
50-100 लोगों से रेवती लाल ने ली मुलाकात
रेवती लाल ने कहा, ‘‘लेकिन जब मैंने 2002 के अपराध में शामिल होने के आरोपी 50-100 लोगों से मुलाकात की तो मुझे लगा कि कहानियों का व्यापक फलक असंभव है। ज्यादातर लोग नफरत, ग्लानि और अपराध में शामिल होने की अपनी कहानियां कहने को लेकर खुले नहीं थे। वे अदालती लड़ाई लड़ रहे थे और उन्होंने तय कर लिया था कि वे यह नहीं चाहते थे।’’ लाल की किताब का नाम ‘दि एनाटोमी ऑफ हेट’ है। इसके लिए शोध और साक्षात्कार का सिलसिला लगभग एक दशक तक चला। इस किताब को कंटेक्स्ट एंड वेस्टलैंड ने प्रकाशित किया है।