Edited By Monika Jamwal,Updated: 22 Aug, 2020 07:44 PM
कश्मीर में राजनीतिक दलों ने शनिवार को सर्वसम्मति से संकल्प लिया कि वे जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त 2019 से पहले की तरह विशेष दर्जे की बहाली के लिए संघर्ष करेंगे।
श्रीनगर : कश्मीर में राजनीतिक दलों ने शनिवार को सर्वसम्मति से संकल्प लिया कि वे जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त 2019 से पहले की तरह विशेष दर्जे की बहाली के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उठाया गया कदम "द्वेषपूर्ण से पूर्ण अदूरदर्शी' तथा 'पूरी तरह असंवैधानक' था। विभिन्न दलों ने कहा कि वे 'गुपकर घोषणा' से बंधे हुए हैं, जो चार अगस्त 2019 को नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के गुपकर आवास पर सर्वदलीय बैठक के बाद घोषित की गई थी।
चार अगस्त 2019 की बैठक के बाद प्रस्ताव में कहा गया था कि दल सर्वसम्मति से घोषणा करते हैं कि जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और विशेष दर्जे की रक्षा के लिए वे एकजुट रहेंगे। इसके एक दिन बाद पांच अगस्त को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने की घोषणा की थी।
'गुपकर घोषणा' में कहा गया था, 'अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 में संशोधन या इन्हें खत्म करना, असंवैधानिक सीमांकन या राज्य का बंटवारा जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के लोगों के खिलाफ आक्रामकता होगा।' दलों ने करीब एक वर्ष से अधिक समय के बाद शनिवार को संयुक्त बयान जारी कर कहा कि वे पिछले वर्ष की घोषणा का पालन करेंगे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जारी बयान में कहा गया कि पिछले वर्ष चार अगस्त को 'गुपकर घोषणा' पर हस्ताक्षर करने वाले दलों के बीच बहुत कम संवाद हो सका क्योंकि सरकार ने 'कई पाबंदियां और दंडात्मक रोक' लगा रखी थीं, जिनका उद्देश्य भी सामाजिक और राजनीतिक बातचीत को रोकना था।'
संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष जी. ए. मीर, माकपा के नेता एम. वाई. तारिगामी, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन और जम्मू-कश्मीर आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुजफ्फर शाह शामिल हैं।