22 मई से एक होंगे दिल्ली के तीनों नगर निगम, ज्ञानेश भारती को बने एमसीडी कमिश्नर

Edited By Yaspal,Updated: 20 May, 2022 07:22 PM

gyanesh bharti appointed as mcd commissioner

केंद्र ने शुक्रवार को आईएएस अधिकारियों- अश्विनी कुमार और ज्ञानेश भारती को क्रमश: एकीकृत दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का विशेष अधिकारी और आयुक्त नियुक्त किया। गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश में यह जानकारी दी गई। निगम अधिकारियों ने कहा कि नए सदन का चुनाव

नेशनल डेस्कः केंद्र ने शुक्रवार को आईएएस अधिकारियों- अश्विनी कुमार और ज्ञानेश भारती को क्रमश: एकीकृत दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का विशेष अधिकारी और आयुक्त नियुक्त किया। गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश में यह जानकारी दी गई। निगम अधिकारियों ने कहा कि नए सदन का चुनाव होने तक विशेष अधिकारी निगम के मामलों को संभालने वाला शीर्ष अधिकारी होगा। एजीएमयूटी कैडर के 1992 बैच के आईएएस अधिकारी कुमार पुडुचेरी के मुख्य सचिव थे। केंद्र सरकार ने हाल में उनका स्थानांतरण दिल्ली किया था और वह नयी तैनाती का इंतजार कर रहे थे।

वहीं, भारती एजीएमयूटी कैडर के 1998 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और फिलहाल दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त हैं। वह दिल्ली के तीन निगम आयुक्तों में सबसे वरिष्ठ हैं। एकीकृत एमसीडी के विशेष अधिकारी के रूप में कुमार की नियुक्ति को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वह निकाय चुनाव से महीनों पहले एकीकृत नगर निगम के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। आदेश के मुताबिक, ये नियुक्तियां 22 मई से प्रभावी होंगी जब तीनों नगर निगमों का एकीकरण होगा। केंद्र ने बुधवार को एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों का 22 मई को औपचारिक तौर पर विलय होगा।

उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) का कार्यकाल मंगलवार को खत्म हो रहा है जबकि पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) का कार्यकाल 22 मई को पूरा होगा। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल बुधवार को खत्म हो गया। एकीकृत एमसीडी के लिए विशेष अधिकारी और नए आयुक्त की नियुक्ति के बाद नगर निगम के स्टाफ में फेरबदल और पुनर्गठन की कवायद शुरू हो जाएगी। निगम मामलों के विशेषज्ञ और एमसीडी कार्य समिति के पूर्व अध्यक्ष जगदीश ममगई ने कहा कि वर्तमान में तीन नगर निकायों के प्रत्येक विभाग में तीन विभागाध्यक्ष हैं लेकिन एकीकरण के बाद एक विभाग में एक विभागाध्यक्ष होगा।

ममगई ने कहा, “इसलिए अब नए आयुक्त और विशेष अधिकारी स्टाफ के फेरबदल की प्रक्रिया शुरू करेंगे क्योंकि इसमें कटौती की जानी है। अधिशेष कर्मचारियों को समायोजित करना उनके लिए एक कार्य होगा।” जानकारों ने यह भी कहा कि इन अधिकारियों के सामने एक और चुनौती एमसीडी को आर्थिक रूप से स्थिर बनाने की होगी। तीन नगर निकायों को एकजुट करने के लिए एक विधेयक को 30 मार्च को लोकसभा और पांच अप्रैल को राज्यसभा द्वारा अनुमोदित किया गया था।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा 18 अप्रैल को सहमति दिए जाने के बाद यह विधेयक एक अधिनियम बन गया। अधिनियम राष्ट्रीय राजधानी में वार्डों की संख्या को मौजूदा 272 से घटाकर 250 करने की बात कहता है, जिसका अर्थ है कि चुनाव से पहले एमसीडी को परिसीमन की कवायद से गुजरना होगा। वार्डों के सीमांकन के लिए केंद्र एक परिसीमन आयोग का गठन करेगा।

अमित शाह ने आप पर लगाए थे आरोप
इस विधेयक पर बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी के तीनों नगर निगमों के साथ ‘सौतेली मां' जैसा व्यवहार कर रही है, जिसके कारण इसका एकीकरण जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा था कि यह विधेयक संविधान के तहत प्रदत्त अधिकार के माध्यम से लाया गया है जिसमें कहा गया है कि संसद को दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश से जुड़े किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने कहा था, ‘‘यह विधेयक किसी भी तरीके से संघीय ढांचे पर हमला नहीं है।''

शाह ने कहा था कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं, बल्कि एक केंद्रशासित प्रदेश है और संसद के पास दिल्ली के लिए कानून बनाने का अधिकार हैं इस कानून में कहा गया है कि निगम में पार्षदों की कुल संख्या और अनुसूचित जाति समुदायों के लिये आरक्षित सीटों की संख्या का निर्धारण निगम के गठन के समय केंद्र सरकार द्वारा किया जायेगा और सीट की संख्या 250 से अधिक नहीं होंगी। विधेयक में कहा गया है, ‘‘निगम की स्थापना के बाद प्रत्येक जनगणना के पूरा होने पर, सीट की संख्या उस जनगणना में निर्धारित दिल्ली की जनसंख्या के आधार पर होगी और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी ...।''

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