Edited By Ravi Pratap Singh,Updated: 14 Aug, 2019 05:53 PM
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और उसे दो हिस्सों में बांटकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। ऐसे में भारत सरकार के स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरनॉटिकल लिमिटेड (HAL) ने दुनिया के सबसे...
ऩई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और उसे दो हिस्सों में बांटकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। ऐसे में भारत सरकार के स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरनॉटिकल लिमिटेड (HAL) ने दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक सुखोई-30MKI की चार स्कवाड्रन यानी 72 विमान तैयार कर देने का प्रस्ताव वायु सेना को दिया है। इससे भारतीय वायु सेना की हवाई क्षमता में जबरदस्त इजाफा होगा।
72 लड़ाकू विमान बनाए जाने का यह प्रस्ताव HAL द्वारा बनाए गए 272 सुखोई लड़ाकू से अतिरिक्त है। लेकिन बताया जा रहा है कि वायु सेना अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हुए HAL के प्रस्ताव को लेकर ज्यादा उत्सुक नहीं है। वह सिर्फ दुर्घटनाओं का शिकार हुए विमानों के रिप्लेसमेंट बनाने का ऑर्डर देने के पक्ष में है।
HAL ने क्यों दिया प्रस्ताव
दरअसल, HAL को अगर इस साल कोई ऑर्डर नहीं मिलता तो इसका नासिक स्थित प्लांट पूरी तरह से ठप हो जाएगा। पिछले एक दशक में जो इसने विमान के कलपुर्जे बनाने के लिए भारतीय वेंडर तैयार किए हैं उनका काम भी बाधित हो जाएगा। लेकिन HAL को उम्मीद है कि इस साल उसे कम से कम 10 अतिरिक्त लडाकू विमान बनाने का ऑर्डर मिल जाएगा। फिलहाल HAL के प्लांट में तैयार होने वाले एक विमान की कीमत करीब 450 करोड़ रुपये है। इसका नासिक स्थित प्लांट हर साल करीब 12 लडाकू विमान बनाने में सक्षम है।
कितनी होनी चाहिए स्कवाड्रन
पाकिस्तान और चीन के साथ एक साथ दो मौर्चे पर जंग लड़ने के लिए भारतीय वायु सेना की मौजूदा क्षमता 42 सक्वाड्रन की होनी चाहिए। लेकिन धीमी लडाकू विमान खरीद प्रक्रिया और पुराने पड़ते विमानों के बेड़े चलते यह क्षमता घटकर करीब 31 स्कवाड्रन की रह गई है। हालांकि फ्रांस के राफेल और भारत के हल्के लड़ाकू विमान तेजस से जल्द ही वायु सेना इस कमी को पूरा करने की कोशिश में है।