Edited By Yaspal,Updated: 08 Mar, 2019 09:51 PM
पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को एक निचली अदालत से मिली सजा के मामले में अगर गुजरात हाई कोर्ट राहत नहीं देता तो वह इच्छा के बावजूद अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पायेंगे...
अहमदाबादः पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को एक निचली अदालत से मिली सजा के मामले में अगर गुजरात हाई कोर्ट राहत नहीं देता तो वह इच्छा के बावजूद अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पायेंगे।
हार्दिक को राज्य के महेसाणा जिले के विसनगर में 23 जुलाई 2015 को एक आरक्षण रैली के दौरान हुई हिंसा और तत्कालीन स्थानीय भाजपा विधायक रिषिकेश पटेल के कार्यालय पर हमले और तोडफ़ोड़ के मामले में पिछले साल 25 जुलाई को एक स्थानीय अदालत ने दो साल के साधारण कारवास की सजा सुनायी थी। उन पर जुर्माना भी लगाया गया था। नियम के मुताबिक दो साल या उससे अधिक की सजा वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते। इसी वजह से हार्दिक ने आज एक बार फिर गुजरात हाई कोर्ट का रूख किया।
उनके वकील रफीक लोखंडवाला ने यूएनआई को बताया कि उन्होंने अदालत में आज एक अर्जी दी है जिसमें विसनगर की अदालत की सजा पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है ताकि हार्दिक के चुनाव लडऩे में परेशानी न हो या उन्हें अयोग्य न ठहराया जा सके। ज्ञातव्य है कि उक्त मामले में अदालत ने कुल 17 में से 14 आरोपियों को बरी कर दिया था जबकि हार्दिक तथा दो अन्य को उक्त सजा सुनायी थी। हार्दिक को बाद में हाई कोर्ट ने नियमित जमानत दे दी थी पर निचली अदालत के फैसले रद्द करने की उनकी अपील पर कोई फैसला नहीं दिया था। इसकी सुनवाई अब भी लंबित है। हार्दिक ने लोकसभा चुनाव लडऩे की खुलेआम इच्छा जतायी है।
हालांकि उन्होंने इस बारे में अब तक सार्वजनिक तौर पर बहुत कुछ नहीं कहा है पर माना जा रहा है कि वह पटेल बहुल गुजरात की जामनगर सीट से कांग्रेस के टिकट पर अथवा पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लडऩा चाहते हैं। लोखंडवाला ने कहा कि दो साल की सजा पर रोक नही लगाये जाने पर उनके मुवक्किल के चुनाव लडऩे में अयोग्यता का सवाल सामने आ सकता है।